National Anti-Terrorism Day 2024: आज पूरे देश में राष्ट्रीय आतंकवादी विरोधी दिवस मनाया जा रहा है. जो देश में आतंकवाद की एक घटना के बाद मनाया जाने लगा है, जो जब देश के लोगों को पता चली तो हर कोई स्तब्ध रह गया था. चलिए आज उस घटना और देश में इस दिन को मनाने के पीछे की घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं.


क्यों मनाया जाता है आतंकवाद विरोधी दिवस?


आज ही के दिन 21 मई 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तमिलनाडु में एक चुनावी रैली के दौरान संबोधन कर रहे थे. आगे क्या होने वाला था शायद किसी को अंदाजा नहीं था, बेहद कम सिक्योरिटी के साथ देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी वहां मौजूद थे. उनके साथ सैकड़ों लोगों की भीड़ भी थी. हर कोई उनका संबोधन सुन रहा था, सिवाय दो महिलाओं के, जिसका इरादा राजीव गांधी का संबोधन सुनना था ही नहीं. दरअसल दो महिलाएं मानव बम बनकर वहां मौजूद थीं.


कुछ ही देर हुई थी कि सभी राजीव गांधी के पैर छुने जा रहे थे, वो दो महिलाएं भी. वो राजीव गांधी के पास पहुंची, उनके पैर छुने झुकीं और अपनी कमर में लगा ट्रिगर दबा दिया. जिसके बाद राजीव गांधी समेत 18 लोगों की पलक झपकते विस्फोट में मौत हो गई. पूरे भारत में इसकी खबर आग की तरह फेल गई. किसी को नहीं पता था कि देश के प्रधानमंत्री को आखिर किसने और क्यों मारा है. इसके पीछे का कारण क्या रहा होगा.


दो दिन तक नहीं हुआ खुलासा


राजीव गांधी की हत्या के बाद पूरा देश स्तब्ध था. दूसरी बार था जब देश के प्रधानमंत्री की इस तरह हत्या हो गई थी, किसी को कारण नहीं पता था और न ही इस बात की जानकारी थी कि आखिर ये हत्या किसने की. दो दिन तक इसका खुलासा नहीं हुआ. थ्योरी दी जाती रही कि आखिर बम को रखा कहां गया होगा? या वो राजीव गांधी को पहनाई माला में था या फिर उनके आसपास किसी डलिया में या फिर वहां मौजूद रेड कार्पेट की नीचे?


कैसे हुआ खुलासा?


फारेंसिक टीम ने राजीव गांधी समेत कई लोगों के शव का परिक्षण किया. जिसमें एक महिला ऐसी पाई गई जिसके शरीर का कोई हिस्सा नहीं बचा था. न ही उसके बाल बचे थे. बचा था तो उसका दायां हाथ, सिर और कमर का कुछ हिस्सा. इसके बाद ये खुलासा हुआ कि राजीव गांधी की हत्या एक मानव बन से हुई थी. वहीं हत्या के कुछ समय पहले खींची गई तस्वीरों ने ये जाहिर कर दिया कि एक महिला ही वहां मौजूद थी जो मानव बम बनकर वहां आई थी.


इस घटना को 33 साल का समय बीत चुका है लेकिन इसके जख्म आज भी बाकि हैं. इस दिन को ऑफिशियली आतंकवादी विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है.


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