उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन अक्सर अपनी विदेश नीति और बड़े देशों के साथ रिश्तों को लेकर चर्चा में रहते हैं। मौजूदा समय में उनके चीन और रूस के साथ गहरे संबंध हैं। हाल ही में उन्होंने रूस और चीन दोनों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, जिससे यह साफ हो गया कि एशिया की राजनीति में यह तीनों देश एक-दूसरे के नजदीक आते जा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि किम जोंग उन के भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैसे रिश्ते हैं?

चीन और रूस से करीबी रिश्ता

किम जोंग उन के लिए चीन सबसे अहम सहयोगी रहा है. उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीन पर निर्भर है, और बीजिंग ने हमेशा प्योंगयांग को कूटनीतिक समर्थन भी दिया है. इसी तरह रूस के साथ भी किम जोंग उन ने अपने संबंध गहरे किए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान उत्तर कोरिया ने रूस का खुलकर समर्थन किया और हथियारों की सप्लाई की खबरें भी आईं. इसके बदले में रूस ने खाद्यान्न और ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाई.

भारत से कैसे हैं संबंध

भारत और उत्तर कोरिया के बीच रिश्ते अपेक्षाकृत सीमित रहे हैं. दोनों देशों ने 1973 में कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे. भारत का उत्तर कोरिया में दूतावास मौजूद है और उत्तर कोरिया का भारत में दूतावास है. हालांकि व्यापारिक और राजनीतिक स्तर पर ज्यादा गहराई नहीं है. भारत, संयुक्त राष्ट्र के मंच पर हमेशा उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंता जताता रहा है और समय-समय पर प्योंगयांग को जिम्मेदार रवैया अपनाने की सलाह भी देता है.

पीएम मोदी और किम जोंग उन की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किम जोंग उन की सीधी मुलाकात या व्यक्तिगत बातचीत कभी नहीं हुई है. भारत की विदेश नीति का फोकस लोकतांत्रिक साझेदारों और बहुपक्षीय मंचों पर ज्यादा रहा है. वहीं दूसरी ओर, उत्तर कोरिया की छवि एक अलग-थलग देश की है, जिसे लेकर भारत सावधानी बरतता रहा है. हालांकि मानवीय आधार पर भारत ने कई बार उत्तर कोरिया को दवाइयां और खाद्यान्न भेजकर मदद जरूर की है. 

कैसे हैं पीएम मोदी और किम जोंग के रिश्ते

ऐसा कहा जा सकता है कि किम जोंग उन और पीएम मोदी के रिश्ते औपचारिक कूटनीति तक सीमित हैं, जहां चीन और रूस के साथ किम की दोस्ती खुलकर दिखाई देती है, वहीं भारत ने उत्तर कोरिया के साथ संतुलित और सतर्क नीति है. भारत अपनी विदेश नीति में शांति, स्थिरता और परमाणु अप्रसार को महत्व देता है, यही वजह है कि वह उत्तर कोरिया से नजदीकी बढ़ाने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाता है.

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