इजरायल ने ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है. इजरायली सेना ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया. इजरायल ने इस सैन्य कार्रवाई को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन नाम दिया है. ईरान पर यह हमला ऐसे समय में किया गया है कि जब अमेरिका बार-बार उसे परमाणु कार्यक्रम बंद करने की धमकी दे रहा था. इजरायल की ओर से दावा किया गया है कि उसने सटीक हमले में इजरायल के परमाणु ठिकानों व परमाणु वैज्ञानिकों को भी मार गिराया है. 

बता दे, बीते कई दिनों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की खबरें आ रही थीं और अमेरिका बार-बार ईरान को इसे बंद करने और अमेरिका के साथ परमाणु समझौते में शामिल होने की धमकी दे रहा था. इसके बावजूद ईरान तेजी से यूरेनियम संवर्धन का काम कर रहा था. यह वही प्रक्रिया है, जिससे परमाणु बम बनाया जाता है. इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए सैन्य हमले के बाद एक बार फिर से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. ईरान ने परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका और इजरायल को सीधे तौर पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है. ये दोनों देश दुनिया के उन 9 देशों में शामिल हैं, जो परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. 

ऐसे में सवाल यह है कि दुनिया के सिर्फ 9 देशों के पास ही परमाणु बम क्यों हैं? ये 9 देश कौन-कौन से हैं. दुनिया के अन्य देश परमाणु बम क्यों नहीं बना पा रहे हैं. अगर कोई देश परमाणु बम बनाना भी चाहे तो इसके लिए कहां परमिशन लेनी होती है? 

सिर्फ 9 देशों के पास हैं परमाणु हथियार

परमाणु शक्ति संपन्न देशों की बात की जाए तो दुनिया में सिर्फ 9 देश ही ऐसे हैं, जिनके पास परमाणु हमला करने की क्षमता है. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इन देशों के पास 12,121 परमाणु हथियार हैं, जिनमें 90% हिस्सा अमेरिका और रूस के पास ही है. 

बाकी देश क्यों नहीं बना पाते परमाणु हथियार

सबसे पहले तो यह समझिए कि परमाणु बम बनाना बच्चों का खेल नहीं है. इसके लिए यूरेनियम संवर्धन से लेकर परमाणु विखंडन या संलयन जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे में दुनिया में कई देशों के पास तो परमाणु बम बनाने का फार्मूला ही नहीं है. हालांकि, कुछ देश ऐसे हैं जो तकनीकी रूप से इतने सक्षम हैं कि वह कभी भी परमाणु बम बना सकते हैं, इसके बावजूद वे ऐसा नहीं करते. दरअसल, इसके पीछे एक संधि है, जिसे न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी (NTP) कहा जाता है. 

190 देशों ने किए हैं हस्ताक्षर

परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और दुनिया को इस खतरे से बचाने के लिए 1968 में न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी को अपनाया गया था, लेकिन यह संधि 1970 में पूरी तरह लागू हुई थी. इस संधि पर 190 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. इस संधि के तहत कहा गया था कि कोई भी नया देश परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा. संधि के तहत सिर्फ अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस को ही परमाणु हथियार रखने की अनुमति थी, क्योंकि ये वे देश थे जो संधि लागू होने से पहले ही परमाणु हथियार बना चुके थे. अब आप सोच रहे होंगे कि जब पांच देशों को ही परमाणु हथियार रखने का अधिकार है तो भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियार कैसे विकसित कर लिए. दरअसल, ये चार वे देश हैं, जिन्होंने या तो संधि पर कभी हस्ताक्षर किए ही नहीं या फिर न्यूक्लियर टेस्ट करके संधि से बाहर हो गए. 

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