Loksabha Elections 2024: भारत में 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को खत्म हो जाएगा. इसके बाद देश मे18वीं लोकसभा के लिए लोकसभा चुनाव होंगे. इलेक्शन कमीशन द्वारा 18वीं लोकसभा के चुनाव सात चरणों में पूरे करवाए जाएंगे जिनका पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा तो वही आखरी और सातवां चरण 1 जून को समाप्त होगा. कल यानी 19 अप्रैल से देश में लोकसभा चुनाव का पहला चरण संपन्न होगा. 


इलेक्शन कमीशन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 18वीं लोकसभा के चुनाव के वक्त भारत में कुल 97 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाता है.  मतदाता भले ही 97 करोड़ हो लेकिन यह सब वोट नहीं दे पाएंगे. क्योंकि चुनाव के दौरान कई लोग ऐसे होते हैं. जो अपने क्षेत्र से दूर रहते हैं. और ऐसे में उन्हें सहूलियत नहीं मिलती कि वह वहां से वोट कर सके.लेकिन लेकिन भारत में तकनीक ईजाद हो चुकी है. जिसके चलते अब कोई भी विदेश में बैठकर के भी अपना वोट डाल सकता है. चलिए जानते हैं पूरी खबर. 


ब्लॉकचेन के जरिए कोई भी कहीं से वोट डाल पाएगा


तकनीक के मामले में अब भारत बड़े-बड़े देशों को टक्कर दे रहा है. आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर इनोवेशन ने भारत में चुनावों के दौरान वोटिंग को लेकर एक नई तकनीक ईजाद की है. इसके जरिए अब कोई भी मतदाता अपने क्षेत्र में ना हो करके भी अपने पोलिंग बूथ पर वोट डाल सकेगा. मतदाता भारत से बाहर भी अगर है तो भी यह तकनीक उसकी सहायता करेगी. 


इस तकनीक में खास बात यह है कि यह तकनीक हैकर्स की पहुंच से दूर होगी. क्योंकि यह 10 लाख सर्वरों से कनेक्ट की जा सकती है. हैकर अगर एक सर्वर को हैक करता है तो यह ऑटोमेटिक ही पूरा डाटा दूसरे सर्वर पर शिफ्ट कर देगी. इस तकनीक के सहारे फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल करके वोटर वेरिफिकेशन के बाद अपने क्षेत्र के प्रत्याशियों को चुनकर उन्हें वोट किया सकता है. 


भविष्य में कारगर सिद्ध हो सकती है


भारत में पिछले कुछ और अरसे से वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बात की जा रही है. इसका मतलब यह है कि एक ही समय पर बाकी राज्यों में और लोकसभा के चुनाव हो. लेकिन अभी भारत में यह मुमकिन नहीं है. अगर आईआईटी मद्रास की ब्लॉकचेन तकनीक पूरी तरह से तैयार हो जाती है. और जैसा इसको लेकर दावा किया जा रहा है. उस प्रकार से काम करने में सक्षम होती है. 


तो फिर भविष्य में यह तकनीक बड़े काम आ सकती है. इस तकनीक के जरिए  इलेक्शन कमिशन की वोट परसेंटेज बढ़ाने की समस्या दूर हो जाएगी. क्योंकि जिन इलाकों में वोटरों को पोलिंग बूथ में पहुंचने में दिक्कत होती है. वहां इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे. तो वहीं जो लोग अपने क्षेत्र से दूर है. वह भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे. बता दें कि इस तकनीक का इस्तेमाल आईआईटी मद्रास के  कैंपस इलेक्शंस में हो चुका है. 


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