बचपन में ज़्यादातर बच्चे सोते हैं तो उनका बिस्तर गीला हो जाता है. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर ऐसा होता क्यों हैं और बड़े होने पर ऐसी स्थिति कभी पैदा क्यों नहीं होती. चलिए आज हम आपके इसी सवाल का जवाब जानते हैं.


बचपन में बच्चे बिस्तर क्यों कर देते हैं गीला?


बचपन में ज़्यादातर बच्चे अपना बिस्तर गीला कर देते हैं. दरअसल बच्चों में मुख्य समस्या नींद में उत्तेजना की होती है. जिसके चलते मूत्राशय भरा होने पर मस्तिष्क जागने का संकेत नहीं देता है और कभी-कभी, गीला होने पर भी बच्चे को जागने का संकेत नहीं देता है.


जिन बच्चों के साथ ये समस्या होती है, ऐसे ज्यादातर बच्चे भारी नींद लेने वाले होते हैं. वहीं जब वही बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनमें ये परेशानी कम हो जाती है जिसके चलते उनमें ये समस्या ख़त्म हो जाती है.


ये भी हैं कारण


अन्य कारण ये भी हैं कि बच्चों का ब्लैडर वयस्कों की तुलना में छोटा होता है, जिस वजह से वो पेशाब रोक नहीं पाते हैं और सोते हुए बिस्तर गीला कर देते हैं. इसके अलावा रात में नींद न खुलना, क़ब्ज़, आनुवांशिकी कारण, नाक संबंधित समस्या होने और मूत्राशय के नियंत्रण में देरी होने के चलते भी नींद में पेशाब छूट जाने की समस्या होती है.


हालांकि अधिकतर बच्‍चे उम्र बढ़ने के साथ ही खुद ही इस परेशानी से निकल जाते हैं जबकि कुछ बच्‍चों को थोड़ी मदद की जरूरत पड़ती है. कुछ बच्‍चों को किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण ये दिक्‍कत हो सकती है जिसका तुरंत इलाज करवाने की जरूरत होती है.


क्यों डॉक्टर के पास जाएं


यदि 7 साल की उम्र के बाद जब भी बच्चा बिस्तर गीला करता हो तो उसे डॉक्टर के पास ज़रूर ले जाना चाहिए. इसके अलावा रात को टॉयलेट करने में दर्द, बहुत ज्‍यादा प्‍यास लगना, गुलाबी या लाल रंग का टॉयलेट आना या खर्राटे आने की दिक्‍कत होने पर भी डॉक्टर के पास जाना चाहिए.    


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