बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के दमदार प्रदर्शन के बाद पटना का राजनीतिक माहौल अचानक बेहद सक्रिय हो उठा है. नई सरकार के रास्ते साफ होते ही नीतीश कुमार ने तुरंत अपनी मौजूदा टीम के साथ एक अहम बैठक बुलाई. इस बैठक को उनके वर्तमान कार्यकाल की अंतिम कैबिनेट मीटिंग माना जा रहा है, जिसमें एक बड़ा कदम उठाते हुए वर्तमान विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव पास किया गया. इसके साथ ही अगली सरकार के गठन का औपचारिक रास्ता भी पूरी तरह तैयार हो गया है. लेकिन क्या हो कि अगर शपथ ग्रहण से पहले राज्यपाल इस्तीफा दे दें तो. तब नई सरकार का गठन कैसे होगा.
नहीं रुकता सरकार का गठन
भारतीय संविधान इस तरह के असामान्य हालात के लिए भी स्पष्ट रास्ता तय करता है. राज्य में सरकार के गठन की प्रक्रिया राज्यपाल से जुड़ी जरूर है, लेकिन यह एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहती है. अगर राज्यपाल किसी कारण से शपथ ग्रहण से पहले इस्तीफा दे दें, अस्वस्थ हो जाएं या अपना कार्यभार नहीं निभा सकें, तब भी सरकार का गठन रुका नहीं रहता है.
राज्यपाल के इस्तीफे के बाद कौन दिलाता है शपथ
सबसे पहले समझें कि राज्यपाल का इस्तीफा भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. जैसे ही राज्यपाल इस्तीफा देते हैं, वे अपने पद से मुक्त माने जाते हैं. ऐसे में पद खाली होने पर राज्य का कामकाज कभी बंद नहीं होता है. यह जिम्मेदारी अपने-आप राज्य के उप-राज्यपाल (यदि नियुक्त हों) या फिर किसी अन्य नजदीकी राज्य के राज्यपाल को अतिरिक्त प्रभार देकर सौंप दी जाती है.
इस प्रथा को additional charge कहा जाता है, यानी राष्ट्रपति तुरंत तय करते हैं कि नए राज्य में राज्यपाल का काम कौन संभालेगा. जैसे ही अतिरिक्त प्रभार वाला राज्यपाल नियुक्त होता है, वह तुरंत शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी करवा सकता है.
क्या इससे मुख्यमंत्री की शपथ लेने में देरी हो सकती है?
जवाब है, नहीं. नया या प्रभार वाला राज्यपाल आते ही सबसे पहले वही काम करता है, जो आवश्यक होता है, जैसे बहुमत वाले नेता को शपथ दिलाना. सरकार बनाने की प्रक्रिया को रुकने नहीं दिया जाता है. अगर किसी कारण कुछ घंटे की देरी भी हो, तब भी संविधान इसे सामान्य मानता है. मुख्य शर्त सिर्फ इतनी है कि शपथ किसी वैध संवैधानिक अधिकारी के सामने ही हो. मुख्यमंत्री बने बिना सरकार नहीं चल सकती, इसलिए प्रभार ग्रहण करने वाले राज्यपाल की पहली प्राथमिकता यही होती है.
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