MPs Fight In Parliament: संसद में कई मुद्दों पर बहस होती है, लेकिन गरमा गरम बहस कब हाथापाई में बदल जाए कुछ पता नहीं चलता. यही वजह है कि अक्सर एक सवाल खड़ा होता है कि अगर संसद में सांसद हाथापाई करने लगे तो क्या पुलिस केस दर्ज कर सकती है? क्या सांसद को बीएनएस के तहत सजा दी जा सकती है? आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.

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नहीं होता आम आपराधिक कानून लागू

आपको बता दें कि संसद के अंदर आम आपराधिक कानून शायद ही कभी लागू होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सांसदों को संवैधानिक विशेषाधिकारों से सुरक्षा मिली होती है. यह बोलने की आजादी और निडर बहस को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत सांसदों को संसद के अंदर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कही या फिर की गई किसी भी बात के लिए छूट मिलती है. इसका मतलब होता है कि अगर सदन के अंदर कोई झगड़ा मौखिक या शारीरिक होता है तो पुलिस तब तक दखल नहीं दे सकती जब तक संसद खुद कोई और फैसला न करे.

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संसद का अपना अधिकार लागू होता है 

जब भी कोई लड़ाई या फिर शारीरिक दुर्व्यवहार होता है तो उसे निपटाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति की होती है. वे तुरंत दोषी सांसदों का नाम ले सकते हैं या फिर उन्हें सदन से बाहर निकालने का आदेश दे सकते हैं.

इसके बाद इस पूरे मसले को संसदीय विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाता है. यह एक इंटरनल डिसीप्लिनरी बॉडी के रूप में काम करती है. यह समिति घटना की जांच करती है, सबूत की जांच करती है और इसमें शामिल सांसदों की सफाई को सुनती है. संसद को अपराध और सजा तय करने का पूरा अधिकार होता है. इस आंतरिक जवाबदेही समिति की वजह से संसद की दीवारों के अंदर किए गए काम के लिए पुलिस शिकायतें या फिर आपराधिक मामले लगभग कभी दर्ज नहीं किए जाते हैं.

संसद क्या सजा दे सकता है 

विशेषाधिकार समिति की सिफारिश के आधार पर सदन एक या फिर एक से ज्यादा सजाएं दे सकता है. इसमें सदन से निलंबन सबसे ज्यादा आम सजा है. यह सजा दुर्व्यवहार की गंभीरता के आधार पर एक दिन, एक सत्र या सदन के पूरे बचे हुए कार्यकाल तक चल सकती है. इसी के साथ सदन सदस्यता से निष्कासन भी कर सकता है. गंभीर दुर्व्यवहार से जुड़े बड़े मामलों में सदन किसी सदस्य को पूरी तरह से निष्कासित कर सकता है. इससे उनका सांसद के तौर पर कार्यकाल खत्म हो जाता है, लेकिन उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता. इसके अलावा कम गंभीर घटनाओं के लिए संसद व्यवस्था को बहाल करने और एक उदाहरण स्थापित करने के लिए फटकार लगा सकता है. 

कब हो सकते हैं आपराधिक कानून लागू 

वैसे तो संसदीय विशेषाधिकार मजबूत हैं लेकिन यह असीमित नहीं है. आम बीएनएस धाराएं सिर्फ तभी लागू होती है जब लड़ाई संसद परिसर के बाहर होती है, अगर सदन खुद इम्यूनिटी छोड़ देता है और कानूनी कार्रवाई की ज्यादा देता है या फिर अपराध इतना गंभीर होता है की संसद अपनी मर्जी से इसे आपराधिक अधिकारियों को सौंप देता है. ऐसे मामलों में बीएनएस की धारा 109 (हत्या का प्रयास), धारा 115 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), धारा 117 (जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), धारा 121 (किसी सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), धारा 351 (आपराधिक धमकी) और धारा 125 (दूसरों की सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत सजा दी जा सकती है.

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