Operation Torch: उत्तर प्रदेश में अब तक के अपने सबसे बड़े वेरिफिकेशन अभियानों में से एक ऑपरेशन टॉर्च को शुरू किया है. यह अभियान अवैध अप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें हिरासत में लेने के मकसद से पूरे राज्य में चलाया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर इस ऑपरेशन को ज्यादातर रात में चलाया जा रहा है. इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस टीम फ्लैश लाइट का इस्तेमाल करके झुग्गी झोपड़ियों, शेल्टर, बस स्टेशन और रेलवे प्लेटफार्म पर जाकर चेकिंग कर रही है. इसी वजह से इसका नाम ऑपरेशन टॉर्च रखा गया है.
क्या हो रहा है इस ऑपरेशन का प्रभाव
पिछले कुछ दिनों में अकेले वाराणसी में 500 से ज्यादा संदिग्ध पकड़े गए हैं. इसी के साथ मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जैसे जिलों में भी रात भर चेकिंग की जा रही है. आपको बता दें कि राज्य 17 जिलों में बड़े पैमाने पर डिटेंशन सेंटर बना रहा है.
ऑपरेशन टॉर्च कैसे चलाया जा रहा है
ऑपरेशन टॉर्च 22 नवंबर 2025 को एक कोऑर्डिनेटर सुरक्षा अभ्यास के तौर पर शुरू हुआ. पुलिस यूनिट उन इलाकों में घर-घर जाकर चेकिंग कर रही है जहां पर बिना दस्तावेज वाले विदेशी नागरिकों के रहने का शक है. अधिकारी आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पासपोर्ट और रोजगार की जानकारी की जांच कर रहे हैं. इसी के साथ वे निवासियों से भारत में आने की तारीख, पिछले पाते और आने के तरीकों के बारे में भी पूछताछ कर रहे हैं.
अगर कोई भी दस्तावेज नकली या फिर गलत लगता है तो व्यक्तियों को वेरिफिकेशन पूरा करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाता है. एक बार जब उनकी स्थिति अवैध होने की पुष्टि हो जाती है तो उन्हें आगे की कार्यवाही तक हाई सिक्योरिटी डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाता है. इन तलाशी को रात में किया जा रहा है क्योंकि अक्सर दिन में घुसपैठी इधर-उधर छुप जाते हैं. तेजी से पहचान के लिए फ्लैशलाइट, टॉर्च और पोर्टेबल स्कैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सरकार किसे निशाना बना रही है
यह ऑपरेशन खास तौर पर बांग्लादेशी नागरिक, रोहिंग्या शरणार्थी और बाकी बिना दस्तावेज वाले विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए शुरू किया गया है. अधिकारियों का दावा है कि कई घुसपैठिए जाली कागजों के जरिए पहचान दस्तावेज हासिल कर लेते हैं और फिर सब्सिडी वाले राशन और पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाते हैं. इनकी वजह से असली नागरिकों के लिए इन सुविधाओं तक पहुंच कम हो जाती है.
क्यों शुरू किया गया यह अभियान
दरअसल यह अभियान चल रहे वोटर लिस्ट संशोधन अभ्यास से जुड़ा हुआ है जिसे स्पेशल समरी रिवीजन के नाम से जाना जाता है. अधिकारियों का ऐसा मानना है कि कुछ घुसपैठिए समय के साथ अवैध रूप से चुनावी लिस्ट में शामिल हो गए हैं जिस वजह से स्थानीय प्रतिनिधित्व काफी ज्यादा प्रभावित हुआ होगा और इसी के साथ वे सरकारी फायदों का भी गलत इस्तेमाल कर रहे होंगे.