उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के झांजरा इलाके में क्लोरीन गैस के रिसाव से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गैस के रिसाव के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत आ रही है. दरअसल इलाके में खाली पड़े प्लाट में गैस सिलेंडर पड़े हुए थे. जहां से गैस लीकेज का मामला सामने आया है, इसके बाद क्लोरीन गैस हवा में घुलने से लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं. जिसके चलते पुलिस ने पूरे इलाके को खाली करवाया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्लोरीन गैस कितनी खतरनाक होती है और यदि इस गैस की मौजूदगी में देर तक सांस ली जाए तो क्या हो सकता है? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं.


क्या होती है क्लोरीन गैस?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर क्लोरीन गैस होती क्या है. तो बता दें कि ये गैस पीले और हरे रंग की हवा से भी हल्की गैस होती है. जो एसिड के साथ ब्लीच (सोडियम हाइपोक्लोराइट) को मिलाने पर बनती है. ये पृथ्वी के साथ ही समुद्र में भी पाई जाती है. क्लोरीन का उपयोग आमतौर पर कीटनाशक की तरह किया जाता है. वहीं औद्योगिक कार्यों में भी इसे उपयोग में लाया जाता है. धुलाई के कार्यों में ये ब्लीचिंग एजेंट के रूप में कार्य करती है.


कितनी खतरनाक होती है क्लोरीन गैस?
क्लोरीन गैस बहुत ही विषैली गैस होती है. जिसमें सांस लेना बहुत ही पीड़ादायी होता है. इसकी तेज गंध आंख, त्वचा को नुकसान होता है और श्वास लेने में बहुत तकलीफ होती है. साथ ही बार-बार इस गैस के संपर्क में आने से अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है. वहीं गंभीर मामलों में ज्यादा समय तक क्लोरीन के संपर्क में रहा जाए तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.


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