भारत में एक बार फिर एडल्ट्री को लेकर बहस शुरू हो चुकी है. ये मुद्दा नया नहीं, पहले भी इसे लेकर काफी चर्चा हो चुकी है. फिलहाल एडल्ट्री भारत में एक गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध की कैटेगरी से बाहर करने का फैसला सुनाया था, लेकिन अब केंद्र सरकार की तरफ से एडल्ट्री को एक बार फिर अपराध बनाने की तैयारी हो रही है. पार्लियामेंट्री कमेटी ने ये सुझाव दिया है कि एडल्ट्री को एक बार फिर अपराध बनाया जाए, जिसके बाद अब सरकार इस पर संसद में कानून बना सकती है. 


क्या होती है एडल्ट्री?
सबसे पहले ये जानते हैं कि ये एडल्ट्री आखिर क्या होता है जिसे सरकार अपराध की श्रेणी में डालना चाहती है. एडल्ट्री को सीधे शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि अगर कोई शादीशुदा महिला किसी तीसरे पुरुष के साथ संबंध बनाती है तो उसे एडल्ट्री कहा जाता है. दुनियाभर के देशों और भारत में भी ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब पति अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है कि उसके संबंध किसी गैर मर्द से हैं. 


एडल्ट्री पर क्या था कानून?
अब आपको बताते हैं कि एडल्ट्री पर आखिर क्या कानून था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. एडल्ट्री 2018 तक आईपीसी के सेक्शन 497 के तहत आता था. इसके तहत ये एक क्राइम था और इसमें दोषी को पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान था. इस सेक्शन का सबसे विवादित हिस्सा ये था कि इसमें सिर्फ पुरुष को ही सजा का प्रावधान था. यानी अगर किसी शादीशुदा महिला का गैर पुरुष से संबंध है तो उस तीसरे पुरुष को ही सजा दी जाएगी. हालांकि इस रेप नहीं माना जाता है. 


एडल्ट्री का एक मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद 2018 में पांच जजों की बेंच ने आईपीसी के सेक्शन 497 को हटाने का फैसला सुनाया था. अब एक बार फिर सरकार एडल्ट्री को अपराध बनाने की तरफ कदम उठा सकती है. बताया जा रहा है कि इस बार महिला और पुरुष दोनों को ही बराबर सजा का प्रावधान हो सकता है. 



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