Cooling With Lake Water: गर्मी के मौसम में घर, ऑफिस आदि जगहों को ठंडा रखने के लिए वहां एयर कंडीशनर लगे होते हैं. बेशक ये घर के अंदर ठंडक करते हैं, लेकिन वातावरण के लिए ये बेहद खतरनाक होते हैं. इसने खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार होती हैं. इसी समस्या की गंभीरता को समझते हुए जिनेवा में इमारतों को ठंडा करने के लिए एक बहुत ही नायाब तरीका अपनाया जा रहा है. यहां इमारतों को ठंडा करने ने लिए एयर कंडीशनिंग की जगह झील के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जी हां, और इससे न सिर्फ बिजली की खपत में 80% की कमी आ रही है, बल्कि वारातरण को भी नुकसान नहीं हो रहा है.


झील में गहराई पर रहता है ठंडा पानी


स्विस कंपनी एसआईजी यूरोप की सबसे बड़ी एल्पाइन झील में 45 मीटर की गहराई से पानी पंप कर रही है. इतनी गहराई पर पानी का तापमान 7 से 8 डिग्री सेल्सियस रहता है. इसके बाद यह पानी स्थानीय इमारतों में हीट एक्सचेंजर्स से होकर गुजरता है, जो इमारतों की गर्मी को अवशोषित कर उन्हे ठंडा करता है. बाद में पानी को वापस झील में छोड़ दिया जाता है. एयर कंडीशनिंग सिस्टम हर साल बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा की खपत करता है. यह प्रक्रिया एयर कंडीशनिंग की जरूरत को खत्म कर रही है. जिससे ऊर्जा की भी बचत हो सकती है.


पर्यावरण को भी है फायदा


यही नहीं, सर्दियों में इस सिस्टम में हीट पंप जोड़कर इमारतों को गर्म पानी के सिस्टम से गर्म भी रखा जाता है. इससे CO2 उत्सर्जन में 80% की कमी आती है. फिलहाल, इस प्रणाली में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी सहित 50 इमारतें शामिल हैं.


इमारतों से होता है 40% उत्सर्जन


2035 तक जिनेवा में 30 किलोमीटर तक नए पाइप जोड़ने की योजना है. इससे प्रति वर्ष 70,000 टन CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 7,000 घरों के उत्सर्जन के बराबर है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, पर्यावरण और ऊर्जा के उत्सर्जन में विश्व स्तर पर इमारतों का लगभग 40 प्रतिशत योगदान रहता है. समस्या को दूर करने के लिए सभी क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता है.


2018 तक यह प्रणाली इतनी प्रभावी साबित हुई कि तब से इसे जिनेवा शहर के केंद्र और सात नगर पालिकाओं तक बढ़ा दिया गया है. कुछ 50 इमारतों को इसका लाभ मिलता है और 2035 तक 350 से अधिक इमारतों को सिस्टम से जोड़ने की कोशिश की जा रही है.


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