Water Pot: मिट्टी के घड़े को लोग देसी फ्रिज कहते हैं. बहुत से लोग आज भी फ्रिज की बजाय घड़े का ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं. ना सिर्फ घड़े में रखा पानी ठंडा हो जाता है बल्कि उसके स्वाद में भी एक खास तरह का मीठापन होता है.


क्या आपने घड़े के इस खास गुण के बारे में कभी सोचा है? आखिर कैसे घड़ा पानी को ठंडा कर देता है? अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपकी इसी जिज्ञासा को शांत करेंगे-


कैसे पानी ठंडा करता है घड़ा-


मिट्टी के घड़े की दीवारों में अनगिनत छोटे-छोटे बहुत ही सूक्ष्म छेद होते हैं. जिनसे पानी रिसता रहता है जिसकी वजह से घड़े की सतह पर हमेशा गीलापन रहता है. जो पानी छेदों से निकलता है उसका वाष्पोत्सर्जन होता रहता है.


वाष्पोत्सर्जन यानी भाप बनकर उड़ने की प्रक्रिया को कूलिंग प्रोसेस कहा गया है. यही कारण है कि जिस सतह पर वाष्पोत्सर्जन होता है वह सतह बहुत ठंडी हो जाती है और उसका तापमान काफी गिर जाता है.


इसी पूरी प्रक्रिया से घड़े का पानी ठंडा होता है. जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा घड़े में रखा पानी उतना ही ज्यादा ठंडा होगा. 


कहलाता है देसी फ्रिज-


घड़े को हमारे देश में देसी फ्रिज कहा जाता है. हजारों सालों से हमारे देश में घड़े का उपयोग हो रहा है. तमाम पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता है. इसके अलावा इसके तमाम ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं.


प्राचीन काल की बेहद विकसित और शहरी सिंधु सभ्यता में भी कुंभकारी के प्रमाण मिले हैं. लेकिन फ्रिज आने के बाद के बाद इसकी मांग पर काफी असर पड़ा है.


इसको प्रोत्साहन देने की जरूरत है. क्योंकि एक ओर जहां यह बेहद सस्ता है वहीं दूसरी ओर इससे कुम्भकारी के काम से जुड़े लोगों को रोजगार भी मिलता है और उनकी आय बढ़ती है. साथ ही यह हमारे देश की कला और संस्कृति का हिस्सा भी रहा है. 


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