Eid Celebration In UP Sambhal: कुछ दिनों में ईद का त्योहार मनाया जाएगा. रमजान खत्म होने के बाद ईद मनाई जाती है. इसे मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाता है. यह आपसी भाईचारे और प्रेम का प्रतीक होता है. सभी मुसलमान मिलकर रमजान खत्म होने के बाद अल्लाह का शुक्रिया करते हैं. नमाज पढ़ने के बाद एक-दूसरे को गले लेकर ईद की शुभकामनाएं देते हैं.
उत्तर प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं. जहां मुसलमान की जनसंख्या ज्यादा है. उनमें एक संभल भी है. कुछ दिनों पहले ही संभल में हिंसा हुई थी. इसीलिए इस बार ईद को लेकर प्रशासन की ओर से खास इंतजाम किए गए हैं. चलिए आपको बताते हैं मुगल काल में संभल में और उत्तर प्रदेश में कैसे मनाई जाती थी. और कौन था संभल का शासक.
मुगलों के वक्त यूपी संभल में ऐसे मनाई जाती थी ईद
मुगल काल के दौरान यूपी और संभल में ईद एक भव्य त्यौहार के तौर पर मनाई जाती थी. शाही निगरानी में ईद का त्यौहार मनाया जाता था. शहरों में सजावट हुआ करती थी. लोग मिलकर एक दूसरे के साथ खुशियां बांटते थे. संभल और उत्तर प्रदेश के बाकी इलाकों में भी ईद बहुत बड़े पैमाने पर मनाई जाती थी. ईद की नमाज के लिए बड़े-बड़े ईदगाह मस्जिदों में लोग इकट्ठे हुआ करते थे. मुगल बादशाह खुद ईदगाह जाते थे और नमाज अदा करते थे.
अकबर, जहांगीर और शाहजहां जैसे कई बादशाहों के ईदगाह जाने का जिक्र इतिहास में दर्ज है. मुगल दरबार में ईद के दिन शानदार दावत का आयोजन किया जाता था. जिसमें सेवइयां, मीठे पकवान और मुगलई व्यंजन बनाए जाते थे. बादशाह दरबारी और विदेशी मेहमानों को दरबार में बुलाते थे और बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ करते थे.
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संभल में किसका था राज?
मुगल दौर में संभल एक बेहद महत्वपूर्ण शहर था. बाबर के समय से ही यह राजनीतिक रूप से बेहद अहम शहर बनकर उभरा था. हुमायूं और अकबर के शासन में भी संभाल एक प्रशासनिक केंद्र के तौर पर था. दिल्ली सल्तनत के दौर में इस शहर की स्थापना हुई थी. बाबर, हुमायूं के समय में यह शहर काफी महत्वपूर्ण था लेकिन अकबर ने इसे इतनी तवज्जो नहीं दी थी.
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हुमायूं ने अपने भाई हिंदाल मिर्जा को इसे जागीर के तौर पर दिया था. अकबर ने इसे प्रशासनिक जिला बनाया और यहां पर मुगल फौजदार नियुक्त किए थे. मुगल काल में संभल किसी एक स्वतंत्र राजा के हिस्से में नहीं था. बल्कि या प्रशासनिक जिला था जहां मुगलों द्वारा गवर्नर या फौजदार नियुक्त किए जाते थे.
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