✕
  • होम
  • इंडिया
  • विश्व
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • बिहार
  • दिल्ली NCR
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • झारखंड
  • गुजरात
  • छत्तीसगढ़
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू और कश्मीर
  • बॉलीवुड
  • ओटीटी
  • टेलीविजन
  • तमिल सिनेमा
  • भोजपुरी सिनेमा
  • मूवी रिव्यू
  • रीजनल सिनेमा
  • क्रिकेट
  • आईपीएल
  • कबड्डी
  • हॉकी
  • WWE
  • ओलिंपिक
  • धर्म
  • राशिफल
  • अंक ज्योतिष
  • वास्तु शास्त्र
  • ग्रह गोचर
  • एस्ट्रो स्पेशल
  • बिजनेस
  • हेल्थ
  • रिलेशनशिप
  • ट्रैवल
  • फ़ूड
  • पैरेंटिंग
  • फैशन
  • होम टिप्स
  • GK
  • टेक
  • ऑटो
  • ट्रेंडिंग
  • शिक्षा

हादसे के बाद हाथ में पड़ी है रॉड तो क्या तेज लगेगा करंट, जानें यह कितना खतरनाक?

Advertisement
कविता गाडरी   |  04 Dec 2025 05:55 PM (IST)

शरीर में लगी रॉड खुद से बिजली को आकर्षित नहीं करती. इसका मतलब है कि अगर आपके हाथ या पैर में किसी भी सर्जरी के बाद रॉड डाली गई है तो इसका यह मतलब नहीं है कि आपको करंट ज्यादा लगेगा या खतरा बढ़ जाएगा.

धातु की रॉड से बिजली का झटका

कई बार बड़े हादसे या फ्रैक्चर के बाद डॉक्टर हड्डी को जोड़ने के लिए हाथ या पैर में इंट्रामेडुलरी रॉड यानी डालने की सलाह देते हैं. यह रॉड हड्डी को अंदर से मजबूती देती है और टूटे हिस्से को कंट्रोल में रखती है, ताकि जल्दी और सही तरह से हीलिंग हो सके. हालांकि, जिन लोगों के शरीर में ऐसी रॉड लग जाती है, उनके मन में यह सवाल अक्सर घूमता है कि क्या धातु की रॉड होने से बिजली का झटका ज्यादा लगता है? आज हम आपको बताते हैं कि हादसे के बाद हाथ में रॉड पड़ी है तो क्या करंट तेज लगेगा और यह कितना खतरनाक होता है?

Continues below advertisement

क्या शरीर में पड़ी रॉड से करंट का खतरा कितना?

शरीर में लगी रॉड को लेकर सबसे अहम बात यह होती है कि शरीर में लगी रॉड खुद से बिजली को आकर्षित नहीं करती है. इसका मतलब है कि अगर आपके हाथ या पैर में किसी भी सर्जरी के बाद धातु के रॉड डाली गई है तो इसका यह मतलब नहीं है कि आपको करंट ज्यादा लगेगा या खतरा बढ़ जाएगा. करंट आमतौर पर तभी लगता है जब शरीर किसी सक्रिय बिजली के सोर्स जैसे खुले तार, पानी में करंट या हाई वोल्टेज लाइन के संपर्क में आता है. वहीं, शरीर में रॉड पड़ी होने से करंट की दिशा या उसकी गति अपने आप नहीं बढ़ती है.

Continues below advertisement

कैसे काम करती हैं रॉड और शरीर पर क्या पड़ता है असर?

धातु की रॉड को हड्डी के अंदर की मैरो कैविटी में डाला जाता है, ताकि टूटे हुए हिस्से सही स्थिति में बने रहे. यह रॉड भार को हड्डी के साथ शेयर करती है, जिसके कारण मरीज जल्दी चल पाता है. यह रॉड आमतौर पर शरीर में हड्डियों का सहारा बनती है. यह इंट्रामेडुलरी रॉड हड्डी के अंदर होती है, स्किन के बाहर नहीं. इस रॉड के चारों ओर मैरो और टिश्यू होते हैं. करंट को शरीर में फैलने के लिए एक निरंतर और आसानी से प्रवाहित होने वाला रास्ता चाहिए, जो रॉड नहीं बनाती है. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को करंट लगता है तो इसका असर वैसा ही होगा, जो एक नॉर्मल व्यक्ति में होता है. शरीर में रॉड होने का फर्क सिर्फ ज्यादा हाई वोल्टेज मामलों में मामूली हो सकता है, वह भी बेहद कम कंडीशन में.

करंट शरीर को कैसे पहुंचाता है नुकसान?

शरीर में करंट का असर कई चीजों पर निर्भर करता है, जिनमें वोल्टेज कितना है? करंट कितनी देर तक शरीर में रहा? शरीर का कौन सा हिस्सा बिजली के संपर्क में आया और शरीर गीला था या सूखा? बिजली का सबसे ज्यादा असर उन अंगों पर पड़ता है, जो इलेक्ट्रिकल सिग्नलों पर काम करते हैं.

ये भी पढ़ें: क्रिसमस पर बिना अंडे के कैसे बनाएं टेस्टी प्लम केक, यहां जानें आसान रेसिपी

Published at: 04 Dec 2025 05:55 PM (IST)
Tags: metal rod electric shock metal rod electricity risk intramedullary rod current danger
  • हिंदी न्यूज़
  • जनरल नॉलेज
  • हादसे के बाद हाथ में पड़ी है रॉड तो क्या तेज लगेगा करंट, जानें यह कितना खतरनाक?
Continues below advertisement
About us | Advertisement| Privacy policy
© Copyright@2025.ABP Network Private Limited. All rights reserved.