मैं थाने से इंस्‍पेक्‍टर .... बोल रहा हूं, नाम बताओ अपना. तुम्‍हारे खिलाफ एक केस आया है. मैं डीएसपी बोल रहा आपका बेटा ड्रग्स के साथ पकड़ा गया, ये उसके मार खाने की आवाज सुनिए. अगर केस रफा-दफा करना है तो तुरंत अकाउंट में पैसे भेजिए. पुलिस की डीपी के साथ ये व्हाट्सएप कॉल किसी भी मां-बाप को डरा देती है. कई बार डरे हुए मां-बाप का फायदा उठाकर ठग पैसा भी ऐंठ लेते हैं. दुनिया जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रही है. साइबर क्राइम के मामले भी उतना ही बढ़ रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि ठग किन-किन तरीकों से लोगों का बैंक खाता खाली कर रहे हैं. 


ये हैं ठगों के नए तरीके


फेक व्हाट्सएप कॉल


हर रोज हजारों लोग साइबर क्राइम का शिकार होते हैं. ठग आम इंसान को कॉल करके खुद को पुलिस वाला बताकर उनके बेटे-बेटी को किसी क्राइम भी फंसे होने की बात कहते हैं. जिसके बाद वो डराकर तुरंत मामले को रफा-दफा करने के लिए कुछ पैसों की डिमांड करते हैं और कहते हैं कि आपके फोन पर ओटीपी आया है. आप जैसे ही ठग को ओटीपी बताते हैं, आपका खाता खाली हो जाता है. 


फेक वेबसाइट


कई बार यूजर्स टूर पैकेज, होटल या ऑफर वाले सामान की बुकिंग करने के लिए फेक वेबसाइट का शिकार होते हैं. यूजर्स अच्छे ऑफर के चक्कर में फेक वेबसाइट पर अपनी सारी जानकारी साझा कर देते हैं. इसके बाद उनके पास फेक कॉल आता है, सामने बात करने वाला शख्स खुद को उस कंपनी का कर्मचारी बताता है और बुकिंग कन्फर्म करने के लिए उनसे ओटोपी मांगता है. इसके अलावा कभी-कभी वो फेक कर्मचारी फोन पे या गूगल पे पर 5,10 रुपये के मामूली रकम का लिंक भेजता है और उसे पे करने के लिए कहता है. यूजर्स जैसे लालच में आकर ठग के सांझे में उस लिंक पर क्लिक करते हैं, कस्टमर के खाते से पैसा गायब हो जाता है.


बैंक फेक कॉल


कई बार यूजर्स के पास बैंक से फेक कॉल आता है. सामने से बात करने वाले शख्स खुद को बैंक मैनेजर या बैंक कर्मचारी बताता है. जिसके बाद वो यूजर को ये कहकर डराते हैं कि आपका खाता ब्लॉक हो गया है. आप कोई लेन-देने नहीं कर पाएंगे. इसे चालू करने के लिए आपको बैंक आने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आप बैंक के पुराने खाताधारक हैं. आपको सिर्फ अपने रजिस्टर मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी को बताना है. खाताधारक जल्दीबाजी में जैसे ही उस ओटीपी को बताता है, वो ठगी का शिकार हो जाता है. 


कार्ड क्लोन


आज का युग डिजिटल पेमेंट का युग है. अधिकांश जगहों पर लोग कार्ड से ही पेमेंट करना पसंद करते हैं. लेकिन कई बार एटीएम समेत कार्ड स्वैप मशीन में ठग कार्ड क्लोन मशीन लगाकर रखते हैं. आप जैसे उन्हें कार्ड पेमेंट के लिए देते हैं, वो कार्ड को क्लोन कर लेते हैं. जिसके बाद वो आपके खाते से पैसा निकाल लेते हैं.  


ये हैं साइबर क्राइम से बचने के तरीके


ओटोपी शेयर नहीं करना


अधिकांश साइबर क्राइम ओटीपी के माध्यम से होते हैं. बैंक समेत कोई भी संस्था आपसे कभी भी ओटीपी नहीं मांगती हैं. इसलिए किसी भी तरह के फोन आने पर खाते से जुड़ी कोई भी जानकारी और ओटीपी शेयर नहीं करना चाहिए. ओटीपी शेयर करने के कारण ही ठग आपके बैंक खाते में सेंध लगा पाते हैं.


सही वेबसाइट का इस्तेमाल


किसी भी तरह की शॉपिंग के लिए सही वेबसाइट का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर कोई कंपनी आपको ऑफर देकर ऑनलाइन पेमेंट करने या कार्ड संबंधित जानकारी या ओटीपी मांगती है, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. ऐसे वेबसाइट पर भरोसा नहीं करना चाहिए. 


डेबिट-क्रेडिट कार्ड देने से बचें


किसी भी जगह ऑनलाइन पेमेंट करने के दौरान खुद से कार्ड स्वैप करना चाहिए. किसी भी मॉल या रेंस्तरा में अपना क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड वहां के कर्मचारी को नहीं देना चाहिए. ऐसी जगहों पर थोड़ा छिपाकर खुद से कार्ड का पिन डालना चाहिए. किसी भी तरह का संदेह होने पर तुरंत कार्ड का पिन बदल लेना चाहिए. 


परिवार को जागरूक करना


आज के वक्त अधिकांश घरों में सभी सदस्यों के पास स्मार्ट फोन मौजूद है. इसलिए अपने परिवार में बच्चों से लेकर बड़ों को साइबर क्राइम के बारे में बताना चाहिए. परिवार को साइबर ठगों से बचाने के लिए उन्हें बताना चाहिए कि अनजान नंबरों से किसी भी तरह के ऑफर में नहीं फंसना है. कोई भी व्यक्ति अगर आपसे ओटीपी या बैंक खाते से जुड़ी जानकारी मांगता है, तो उसे नहीं देना है. इतना ही नहीं किसी अनजान लिंक पर क्लिक भी नहीं करना है. 


साइबर क्राइम एक्सपर्ट ने क्या कहा 


एबीपी न्यूज से बातचीत में साइबर क्राइम एक्सपर्ट ने बताया कि इस डिजिटल युग में साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं. इससे सुरक्षित रहने का तरीका जागरूक रहना है और किसी भी अनजान के साथ अपनी जानकारी साझा करने के साथ बचना चाहिए. एक्सपर्ट ने कहा अभिभावकों की ये जिम्मेदारी हैं कि अपने बच्चों जागरूक करें. क्योंकि ठग कई बार बच्चों को अलग-अलग तरीके से टारगेट करते हैं और उन्हें ब्लैकमेल करके पैसा ऐंठने की कोशिश करते हैं.


ऐसे भी बच्चे जब बच्चे अपने माता-पिता को बताते हैं, तब तक देर हो जाती है. किसी भी तरह की समस्या होने पर बिना देर किए पुलिस या पास के साइबर क्राइम थाने में जाकर मामले की पूरी जानकारी देनी चाहिए.


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