Glass: कांच ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल घर, ऑफिस, रेस्टोरेंट या स्कूल आदि सभी जगह किया जाता है. घर में खिड़कियों में कांच लगा होता है. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स में कांच का इस्तेमाल होता है. गाड़ियों (Vehicle) के विंडशील्ड में भी शीशे के तौर पर कांच ही लगा होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आमतौर पर लगभग सभी जगह दिखने वाला यह कांच या ग्लास बनता कैसे है? इसको बनाने के पीछे का विज्ञान क्या है? आइए जानते है इसके विज्ञान को. 


कांच क्या है? 


कांच एक पारदर्शी या पारभासी (Transperant or Translucent) अकार्बनिक ठोस पदार्थ है, जो कठोर और भंगुर होता है. कांच प्राकृतिक तत्वों जैसे पानी, रेत या धूल मिट्टी आदि से प्रभावित नहीं होता. कांच को प्राचीन समय से ही व्यावहारिक और सजावटी उद्देश्यों के साथ बनाया जाता रहा है. आज भी यह कई अलग-अलग अनुप्रयोगों जैसे घरेलू सामान, दूरसंचार, भवन निर्माण इत्यादि के लिए बहुत उपयोगी है. कांच के उपयोगी गुणों के कारण ही इसे घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. पारदर्शी होने के साथ-साथ यह बनाने में भी सस्ता होता है. कांच रासायनिक रूप से निष्क्रिय होता है, इसलिए जब कांच के जार में किसी वस्तु को रखा जाता है, तो जार उसके साथ किसी भी तरह से React नहीं करता है. कांच के उपयोगी होने के साथ-साथ ही इसे बार-बार recycle भी किया जा सकता है. 


कांच का इतिहास 


देखा जाए तो कांच का इतिहास लगभग 3600 वर्ष पुराना है. कांच की शुरुआत मेसोपोटामिया (Mesopotamia) से हुई थी. सबसे पहले 2000 ईसा पूर्व के मध्य कांच के रूप में बनने वाली पहली वस्तुएं मोती थे. शायद शुरू में ये Metalworking के दौरान Accidentally बने कोई सह उत्पाद होंगे. अनुमानों के अनुसार, भारत में कांच की शुरुआत 1730 ईसा पूर्व में शुरू हुई होगी. 


ऐसे बनता है कांच 


शायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि कांच को तरल रेत से बनाया जाता है. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है. साधारण रेत अधिकतम सिलिकॉन डाइऑक्साइड से बनी हुई होती है. जब इसे अति उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, तो यह पिघल कर एक तरल पदार्थ में बदल जाती है. इस रेत को पिघलाने के लिए लगभग 1700 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान की जरूरत पड़ती है. रेत को इतने उच्च तापमान तक गर्म करने पर इसकी आंतरिक संरचना पूरी तरह से बदल जाती है. इसीलिए ठंडा करने पर यह एक अलग ही रूप धारण कर लेती है. कांच बनाने के लिए रेत को 1700 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पिघलाया जाता है. उसके बाद इस पिघली हुई रेत को सांचे में डाला जाता है. अंत में, सांचे में ढली तरल रेत को ठंडा करने पर कांच प्राप्त हो जाता है. 


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