Cold Wave Warning: उत्तर भारत में सर्दी जोर पकड़ चुकी है. अब सुबह और देर शाम ठंड का असर साफ देखने को मिल रहा है. कई क्षेत्र जैसे कि पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भारतीय मौसम विभाग द्वारा शीत लहर की चेतावनी जारी कर दी गई है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कितनी तेज ठंड होने पर मौसम विभाग द्वारा शीत लहर की चेतावनी जारी की जाती है. साथ ही इस चीज को कैसे तय किया जाता है. आइए जानते हैं.
पहला संकेतक के रूप में पूर्ण न्यूनतम तापमान
आईएमडी का पहला मानदंड किसी जगह में दर्ज वास्तविक न्यूनतम तापमान पर आधारित है. जैसे मैदानी इलाकों के लिए सीमा बिल्कुल साफ है. यहां तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या फिर उससे नीचे गिरना चाहिए. इसके अलावा अगर पहाड़ी क्षेत्र की बात करें तो यहां पर स्थित और भी विकेट हो जाती है क्योंकि यहां पर तापमान 0 डिग्री सेल्सियस या फिर उसके नीचे गिरने पर शीत लहर की घोषणा कर दी जाती है. इतना ही नहीं बल्कि तटीय क्षेत्रों में हल्की सर्दी के पैटर्न की वजह से न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस या फिर उससे कम होने पर शीत लहर की घोषणा कर दी जाती है.
दूसरा मानदंड
दशकों के आंकड़ों के आधार पर हर क्षेत्र में साल के हर समय के लिए एक स्थापित सामान्य न्यूनतम तापमान होता है. जब वास्तविक तापमान इस सामान्य स्तर से तेजी से नीचे चला जाता है तो मौसम विभाग इसे संभावित शीत लहर के रूप में मान लेता है. सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट के रूप में पहचानी जाती है जबकि 6.4 डिग्री सेल्सियस या फिर उससे ज्यादा की गिरावट को गंभीर शीत लहर के रूप में माना जाता है.
इन दो मानदंडों की जरूरत क्यों
दरअसल भारत की जलवायु काफी विविध है. राजस्थान में जिसे ठंड माना जाता है वह तटीय तमिलनाडु की ठंड से काफी अलग है. इस वजह से मौसम विभाग गलत या भ्रामक वर्गीकरण से बचने के लिए दोनों मानदंडों का इस्तेमाल करता है.
मौसम विभाग चेतावनी जारी करने का निर्णय कैसे लेता है
मौसम विभाग स्थानीय वेधशालाओं, डॉपलर रडार और रियल टाइम डेटा प्रणाली के नेटवर्क के जरिए से तापमान की निगरानी करता है. शीत लहर की चेतावनी तब जारी की जाती है जब कम से कम दो लगातार दिनों तक एक या एक से ज्यादा मानदंड पूरे होते हैं. इसके बाद इन चेतावनियों को मौसम विभाग प्लेटफार्म पर प्रकाशित किया जाता है और समय पर सार्वजनिक सलाह के लिए राज्य प्राधिकरण के साथ साझा किया जाता है.
चेतावनी में रियल टाइम डाटा की भूमिका
आईएमडी स्वचालित मौसम केंद्रों से प्राप्त ताजा अपडेट पर काफी ज्यादा निर्भर करता है. यह लगातार बदलते तापमान को रिकॉर्ड करते हैं. किसी भी तेज या फिर अचानक हुई गिरावट को मार्क कर लिया जाता है और जलवायु संबंधी सामान्य आंकड़ों के साथ उसकी जांच की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया से मौसम विज्ञानियों को शीतलहर की स्थिति की शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद मिलती है.
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