Pakistan Two Front War: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस्लामाबाद में हुए सुसाइड ब्लास्ट के बाद एक बड़ा बयान दिया है. ख्वाजा आसिफ का कहना है कि पाकिस्तान दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ख्वाजा ने कहा कि पाकिस्तान पूर्वी सीमा पर भारत और पश्चिमी सीमा पर अफगान तालिबान के खिलाफ टू फ्रंट वॉर लड़ने के लिए तैयार है. ख्वाजा आसिफ का यह बयान तब आया है जब पाकिस्तान आंतरिक अस्थिरता, आर्थिक मंदी और दोनों पड़ोसियों के साथ बढ़ते तनाव से जूझ रहा है.  इसी बीच एक अहम सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान असलियत में टू फ्रंट वॉर के लिए सक्षम है? आइए जानते हैं.

Continues below advertisement

पाकिस्तान का कमजोर आर्थिक आधार 

किसी भी युद्ध को लड़ने के लिए और खास तौर पर टू फ्रंट वॉर के लिए एक विशाल वित्तीय भंडार, मजबूत उत्पादन लाइन और स्थिर शासन की जरूरत होती है. अगर पाकिस्तान की बात करें तो उसके पास इनमें से कुछ भी नहीं है. पाकिस्तान वर्तमान में गंभीर रूप से कम विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ता इन्फ्लेशन और बार-बार आईएमएफ से मिलने वाले ब्लैकआउट से जूझ रहा है. युद्ध का खर्चा उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था के बचे कुचे हिस्से को भी तबाह कर देगा. यह युद्ध पाकिस्तान को महीनों में नहीं बल्कि कुछ ही दिनों में आर्थिक पतन की तरफ धकेल देगा.

Continues below advertisement

पाकिस्तान की सेना

पाकिस्तान की सेना भारत की तुलना में बहुत छोटी है. भारत के पास बेहतर वायु शक्ति, मिसाइल प्रणालियां, नौसैनिक प्रभुत्व, निगरानी नेटवर्क और साइबर क्षमताएं हैं. इसी के साथ पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान को अफगानिस्तान तालिबान के साथ लगातार टकराव का सामना करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि अफगान तालिबान एक अप्रत्यक्षित और युद्ध प्रशिक्षित गुरिल्ला बल है जो उग्रवाद शैली के हमलों के जरिए लगातार नुकसान पहुंचाने में काफी सक्षम है. अब एक तरफ भारतीय सेना और दूसरी तरफ तालिबान लड़ाकों से लड़ने से पाकिस्तान के सभी संसाधन डगमगा जाएंगे.

पाकिस्तान का गोला बारूद संकट 

मई 2025 में रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास उच्च तीव्रता वाले युद्धों के लिए मात्र 96 घंटे का गोला बारूद था. यह कमी पुराने हथियार कारखानों, कम उत्पादन क्षमता और यूक्रेन जैसे अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को गोला बारूद के इस्तेमाल की वजह से पैदा हुई. अगर किसी देश के पास गोला बारूद का भंडार कुछ देशों द्वारा शांति कालीन प्रशिक्षण अभ्यासन के लिए रखे गए भंडार से कम हो तो वह दो मोर्चों पर युद्ध लड़ ही नहीं सकता. 

तालिबान से खतरा 

पाकिस्तान का पश्चिमी पड़ोसी कोई आम सेना नहीं है जिसकी युद्ध योजनाएं पहले से समझी जा सकती हैं. तालिबान गुरिल्ला युद्ध, घात लगाकर हमला करने और सीमा पर छापे मारने में माहिर है. अगर तालिबान सक्रिय रूप से किसी भी संघर्ष में शामिल हो गया या फिर उसने शत्रुता बढ़ा दी तो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी.

ये भी पढ़ें:  सिर्फ यूनिवर्सिटी ही नहीं इन कंपनियों का भी मालिक है अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चांसलर, जानें कहां-कहां से होती है कमाई?