Chandra Grahan 2025: आज यानि रविवार को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा. यह पूर्ण ग्रहण होगा और इसे पूरे देश में कहीं पर भी देखा जा सकेगा. यह 2022 के बाद भारत में दिखने वाला पूर्ण और सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा. इस बार करीब 82 मिनट तक पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा. इसी दौरान धरती, सूर्य और चांद के बीच में आ जाती है, जिससे चांद पर धरती की छाया पड़ती है.

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इसी वजह से चांद का रंग लाल या फिर नारंगी दिखाई देने लगता है. इसी को ब्लड मून कहा जाता है. चलिए ब्लड मून और चांद सालभर में आखिर कितने रंग बदलता है, इस बारे में थोड़ा विस्तार में समझें.

ब्लड मून क्या है?

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ब्लड मून यानि लाल चांद, एक बेहद अद्भुत खगोलीय नजारा है जो पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान दिखाई देता है. जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की सीधी रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती है. इस स्थिति में चांद पर पूरी तरह अंधेरा न होकर वह गहरे लाल या तांबे जैसे रंग में बदल जाता है.

दरअसल जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरती हैं, तो नीली रोशनी वातावरण में बिखर जाती है और लाल व नारंगी रंग की किरणें आगे बढ़कर चंद्रमा तक पहुंचती हैं. यही रोशनी चांद की सतह से परावर्तित होकर हमारी आंखों तक आती है, जिससे चांद रहस्यमयी लालिमा ओढ़ लेता है.

ब्लड मून को खास बनाने वाली बात यह है कि यह देखने में न सिर्फ आकर्षक होता है बल्कि पूरी तरह सुरक्षित भी होता है. जहां सूर्यग्रहण के दौरान आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे का इस्तेमाल जरूरी होता है, वहीं ब्लड मून को आप बिना किसी साधन के खुली आंखों से निहार सकते हैं.

कितने रंग बदलता है चंद्रमा

आसमान में चमकता चांद हमेशा से इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करता आया है. वह कभी सफेद, कभी पीला तो कभी लाल दिखाई देता है और रहस्यों से भरा हुआ लगता है. लेकिन क्या वाकई चांद सालभर में कई बार अपना रंग बदलता है? इस सवाल का जवाब विज्ञान के पास मौजूद है.

असल में चांद खुद कोई रंग नहीं बदलता, उसका असली रंग ग्रे यानी धूसर है. हम धरती से चांद को अलग-अलग रंगों में इसलिए देखते हैं क्योंकि उसकी सतह पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वातावरण से गुजरकर हमारी आंखों तक पहुंचती है. वातावरण में मौजूद धूल, नमी और गैसें रोशनी को बिखेरती हैं और यही वजह है कि चांद कभी सफेद, कभी पीला, नारंगी या लाल दिखाई देता है.

कभी पीला कभी नारंगी

जब चांद आसमान में ऊंचा होता है तो यह हमें ज्यादा सफेद और चमकदार दिखता है. लेकिन जैसे ही यह क्षितिज के पास आता है, तब इसकी रोशनी को मोटी वायुमंडलीय परत से गुजरना पड़ता है. इस दौरान नीली रोशनी ज्यादा बिखर जाती है और चांद पीला या नारंगी नजर आने लगता है. यही कारण है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त चांद का रंग अलग दिखाई देता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सालभर में चांद हमें कई बार अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है, कभी सफेद, कभी पीला, कभी नारंगी और ग्रहण के समय गहरा लाल.

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