अक्सर हमारे दिमाग में कई सवाल उठते हैं. जिसके जवाब हम जानना चाहते हैं पर वो आसानी से मिल नहीं पाते. उन्हीं में से एक है कि भारत के सबसे ऊंचे पद पर बैठे राष्ट्रपति को यदि इस्तीफा देना हो तो वो किस स्थिति मेें ऐसा कर सकते हैं और यदि वो इस्तीफा देंगे तो किसे देंगे और इसके नियम कानून क्या होंगे. यदि आपके मन में भी ये सवाल उठ रहे हैं तो चलिए जान लेते हैं.


क्या राष्ट्रपति इस्तीफा देे सकते हैं?
राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद और विधानसभा दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य होते हैं. राष्ट्रपति का चुनाव एकल हस्तांतरणीय वोट के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों की विधानसभाओं के द्वारा दिए गए मत के माध्यम से होता है. 


वहीं राष्ट्रपति बन जाने के बाद यदि वो अपने पद से इस्तीफा देना चाहते हैं तो वो संभव है. पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने से पहले ही यदि वो इस पद से इस्तीफा दे सकते हैं.


राष्ट्रपति किसे दे सकते हैं इस्तीफा?
अब सवाल ये उठता है कि देश में सबसे बड़ा पद राष्ट्रपति का होता है. यदि वहीं अपनेे पद से इस्तीफा देना चाहें तो वो ये देंगे किसे. तो इसका जवाब है उपराष्ट्रपति. दरअसल भारत के संविधान के अनुसार यदि देश का राष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा देना चाहता है तो वो उपराष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपने हाथ से लिखकर पत्र द्वारा अपना इस्तीफा दे सकते हैं.


6 महीने से ज्यादा समय तक खाली नहीं रह सकता राष्ट्रपति का पद
बता दें राष्ट्रपति की गैर मौजदूगी में इस पद की जिम्मेदारी भी उपराष्ट्रपति ही संभालता है. वहीं 6 महीने से ज्यादा ये पद खाली नहीं रह सकता. 6 महीने के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव जरूरी है.


वहीं यदि पद पर रहते हुए राष्ट्रपति की मौत हो जाती है. तो उस स्थिति में भी ये पद उपराष्ट्रपति संभालते है. वहीं यदि उपराष्ट्रपति भी हाजिर न हो. तो ये जिम्मेदारी देश के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कंधों पर होती है. उनके न होने पर सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जस्टिस को ये जिम्मेदारी दी जाती है.


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