Bihar Election Result 2025: बिहार चुनाव की गिनती शुरू होने में बस कुछ ही घंटे बाकी हैं. हर राउंड के साथ सियासी माहौल गरमाता जाएगा. मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा कड़ी होने वाली है. अधिकारी लगातार आंकड़े अपडेट करते रहेंगे और प्रत्याशियों की निगाहें बस नतीजों पर टिकी हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर चुनाव में वोटों की गिनती की शुरुआत हमेशा बैलेट पेपर यानी पोस्टल बैलेट से ही क्यों की जाती है? आखिर इन कुछ सौ या हजार वोटों में ऐसा क्या खास होता है कि इनकी गिनती सबसे पहले शुरू होती है?

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क्या है पोस्टल बैलेट?

दरअसल, पोस्टल बैलेट उन लोगों के लिए बनाया गया था जो किसी वजह से अपने गृह क्षेत्र में जाकर मतदान नहीं कर सकते हैं. इसमें सेना के जवान, पुलिसकर्मी, चुनाव ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी और विदेश या राज्य से बाहर कार्यरत अधिकारी शामिल होते हैं. चुनाव आयोग की नियमावली 1961 के नियम 23 के तहत इन मतदाताओं को डाक मतपत्र के जरिए वोट देने की सुविधा दी जाती है ताकि कोई भी नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रहे.

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क्यों पहले होती है बैलेट पेपर की गिनती?

बिहार चुनाव की मतगणना में भी सबसे पहले इन पोस्टल बैलेट्स की गिनती शुरू की जाएगी. इसका कारण बहुत व्यावहारिक है कि ये वोट पेपर पर होते हैं, संख्या में अपेक्षाकृत कम और गिनने में सरल होते हैं. चूंकि ये मतपत्र पहले ही डाक से निर्वाचन कार्यालय तक पहुंच जाते हैं, इसलिए काउंटिंग शुरू होते ही इन्हें खोला जाता है. एक-एक मतपत्र को जांचकर वैध या अवैध घोषित किया जाता है, फिर परिणाम दर्ज होता है. यही वजह है कि शुरुआती रुझानों में अक्सर पोस्टल बैलेट्स के आंकड़े सबसे पहले सामने आते हैं.

पोस्टल बैलेट की गिनती पहले करने के पीछे पारदर्शिता और निष्पक्षता का सिद्धांत भी जुड़ा है. इससे सुनिश्चित होता है कि जो लोग देश और चुनाव दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, जैसे सैनिक या चुनाव ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी उनकी आवाज सबसे पहले सुनी जाए.

पोस्टल बैलेट भी पलट देते हैं नतीजे

हालांकि कई बार देखा गया है कि कुछ सीटों पर पोस्टल बैलेट के कारण ही नतीजे पलट जाते हैं, खासकर तब जब मुकाबला बेहद कांटे का होता है. यही वजह है कि बिहार में भी सभी उम्मीदवार इन शुरुआती लिफाफों की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं, क्योंकि जीत की कहानी कभी-कभी इन्हीं से शुरू होती है.

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