Bihar Election Result 2025: बिहार चुनाव 2025 की काउंटिंग आज पूरे रोमांच पर है. हर राउंड के साथ रुझानों में उतार-चढ़ाव आ रहा है और राजनीतिक हवा कभी तेज होती दिख रही है, कभी बिल्कुल थम-सी जाती है. इसी बीच एक दिलचस्प सवाल फिर चर्चा में है कि आखिर भारत में लोकसभा चुनावों में किन-किन राज्यों ने कब सत्ताधारी पार्टी को दोबारा सत्ता में पहुंचाया? काउंटिंग की हलचल और रुझानों के शोर के बीच यह तुलना इसलिए भी अहम है, क्योंकि बिहार का फैसला भी राष्ट्रीय पैटर्न को कई बार प्रभावित करता रहा है.

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क्या इस बार बिहार में बदलेगी हवा?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है. 243 सीटों पर रुझान अब काफी हद तक स्पष्ट होते जा रहे हैं और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है कि क्या इस बार भी जनता सत्ताधारी गठबंधन को दोबारा मौका देगी या हवा बदल चुकी है. ऐसे माहौल में यह सवाल फिर सुर्खियों में है कि भारत में लोकसभा चुनावों में किन-किन राज्यों ने कब सत्ताधारी पार्टी को दोबारा बड़ी जीत दिलाई?

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कई बार सत्ताधारी दलों को मिला मौका

बिहार की सियासत में यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां का चुनावी मूड अक्सर केंद्र की राजनीति पर प्रभाव डालता है. बिहार के नतीजे, खासकर काउंटिंग के समय, राष्ट्रीय चुनाव इतिहास से तुलना के लिए सबसे बड़ा आधार बन जाते हैं. भारत में लोकसभा चुनावों का इतिहास बेहद दिलचस्प है. आजादी के बाद से लेकर 2024 तक कई राज्यों ने केंद्र की सत्ता को बार-बार मौका दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने हर चुनाव में बदलाव को ही चुना. चलिए देखते हैं कि किन राज्यों ने कब सत्ताधारी दल को लगातार समर्थन दिया.

1952 से 1971 कांग्रेस का स्वर्ण युग

आजादी के शुरुआती वर्षों में लगभग पूरा भारत कांग्रेस के साथ खड़ा था. 1952, 1957, 1962, 1967, 1971 इन सभी चुनावों में अधिकतर राज्यों ने कांग्रेस को भारी समर्थन दिया. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाड, लगभग हर बड़ा राज्य इस दौर में सत्ताधारी दल का साथ देता रहा.

1977 में पहली बड़ी करवट

यह वह साल था जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई. पूरे उत्तर भारत जैसे- बिहार, यूपी, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. यह पहला मौका था जब राज्यों ने सामूहिक रूप से केंद्र की सरकार बदलने का बड़ा संकेत दिया.

1980 में फिर से कांग्रेस की वापसी

1977 के प्रयोग के बाद देश के कई राज्यों ने 1980 में इंदिरा गांधी को फिर से सत्ता में लौटाया. बिहार, यूपी, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन किया.

1984 की सबसे बड़ी लहर

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आए सहानुभूति वोट ने कांग्रेस को अब तक की सबसे बड़ी जीत दिलाई थी. लगभग हर राज्य बिहार सहित ने सत्ताधारी दल को रिकॉर्ड बहुमत दिया था. आज बिहार की काउंटिंग जिस तरीके से तेज़ रफ्तार मोड़ ले रही है, वही 1984 की लहर की याद दिलाती है जब मतदाताओं का मन लगभग एक दिशा में था.

2014 और 2019 में मोदी लहर की दोहरी जीत

2014 की बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद 2019 में कई राज्यों ने फिर से सत्ताधारी पार्टी को वोट दिया. उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ने बड़े पैमाने पर दोबारा मोदी पर भरोसा जताया.  बिहार में भी एनडीए को लगातार दो लोकसभा चुनावों में मजबूत समर्थन मिला.

2024 कड़े मुकाबले का साल

2024 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन कई राज्यों में सत्ताविरोध झलका. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नतीजे चौंकाने वाले थे, जबकि बिहार, ओडिशा, असम जैसे राज्यों में सत्ताधारी गठबंधन को मजबूत आधार मिला.

आज 2025 बिहार काउंटिंग के बीच जब लोग पूछ रहे हैं कि कौन-सा राज्य किस साल सत्ता के साथ खड़ा रहा, यह इतिहास बताता है कि भारत के चुनावों में हवा कभी एक सी नहीं रहती. जैसे इस वक्त बिहार में हर राउंड नए समीकरण बना रहा है, वैसे ही देश के राज्यों ने भी हर चुनाव में अपनी पसंद और नाराजगी का अलग संकेत दिया है.

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