एडोल्फ हिटलर को क्रूर तानाशाह के रूप में आज भी जाना जाता है. हिटलर की यहूदियों से नफरत की गवाही उसके द्वारा बनवाए गए यातना कैंप देते थे. इस कैंपों के लिए यहूदियों को यूरोपीय देशों से ढूंढकर लाया जाता था. इस तरह के हिटलर ने 40 कैंप बनवाए थे, जिनमें यहूदियों को तड़पा-तड़पाकर मारा जाता था. हिटलर यहूदियों का नामों निशान मिटाना चाहता था. यही वजह थी कि उसने 60 ललाख यहूदियों को मरवा दिया था जिसमें 15 लाख बच्चे भी शामिल थे. इस दर्दनाक नरसंहार को होलोकास्ट के रूप में जाना जाता है. 


हिटलर के कैंपों में यहूदियों को ऐसे दी जाती थी प्रताड़़ना
20 अप्रैल 1889 को आस्ट्रिया जन्में एडोल्फ हिटलर को यहूदियों से कितनी नफरत थी ये बात किसी से छुपी नहीं है. दूसरी वर्ल्ड वॉर के दौरान हिटलर ने पौैलेंड में यहूदियों का नामों निशान मिटाने के लिए 40 कैंप बनवाए थे. इन्हें कन्सट्रेशन कैंप कहा जाता था. जहां यहूदियों को लाकर गैस चैंबर में डाल दिया जाता था. 


जो लोग काम करने लायक थे उन्हें नजरबंद कर दिया जाता था. इन यहूदियों की पूरी तरह से पहचान मिटाती जाती थी और उनके हाथ पर एक नंबर लिख दिया जाता था. जिसके बाद वो  यहूदी अपना नाम नहीं ले सकता था उसकी पहचान वो नंबर ही होता था. काम करने लायक कैदियों से इमारतें बनवाई जातीं और फिर उनमें नए यहूदियों को लाकर रखा जाता था.


न होते थे कपड़े न ही सिर पर बाल
इन यहूदियों को इतनी यातनाएं दी जाती थीं कि वो जिंदा रहते हुए भी मरे व्यक्ति के समान ही हो जाते थे. इनके सिर के बाल मुंडवा दिए जाते थे और कपड़े भी छीन लिए जाते थे. खाना बस इन्हें इतना दिया जाता कि वो जिंदा रह सकें. जब कोई यहूदी बेहद कमजोर हो जाता तो उसे गैस चेंबर में डालकर मौत के घाट उतार दिया जाता था. इस तरह विश्वयुद्ध के 6 सालों के दौरान हिटलर ने लगभग 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया था.       


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