Lakshadweep Island: पाकिस्तान और चीन भारत के दो ऐसे पड़ोसी देश हैं, जिनसे देश को हमेशा से खतरा रहा है. हर मोर्चे पर ये दोनों देश भारतीय सेनाओं के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं. यही वजह है कि भारत अब सीमा पर खुद को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है, चीन और पाक की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए देश की सेनाएं पूरी तरह से तैयार हैं. हालांकि कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां सैन्य ताकत को मजबूत करने की जरूरत है. खासतौर पर वो इलाके जहां चीन से हमले का खतरा हो. ऐसा ही एक आइलैंड लक्षद्वीप भी है, जहां भारतीय सेना का मिलिट्री बेस बनाने की चर्चा हो रही है. हम आपको आज बताएंगे कि कैसे लक्षद्वीप में सैन्य ताकत को बढ़ाकर भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की नापाक हरकतों को रोक सकता है. 


छोटा सा आइलैंड लक्षद्वीप 
लक्षद्वीप अरब सागर में मौजूद एक छोटा आइलैंड है. इस आइलैंड में पहले पुर्तगालियों का कब्जा माना जाता था, लेकिन बाद में टीपू सुल्तान ने इसका ज्यादातर हिस्सा अपनी सल्तनत में ले लिया. बाद में इसे मद्रास में शामिल किया गया. आजादी के बाद 1956 में लक्षद्वी को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. इस आइलैंड की आबादी महज करीब 70 हजार है. जिनमें 95 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं. यही वजह थी कि पाकिस्तान ने बंटवारे के दौरान इस पर अपना अधिकार बताया था, लेकिन जनमत संग्रह के दौरान लक्षद्वीप के लोगों ने भारत सरकार को चुना. 


समुद्री रास्ते से भारत पर हमला आसान
भारत में जब नवंबर 2008 में मुंबई हमला हुआ था तो इससे एक बात सामने निकलकर आई कि हमारी समुद्री सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं. क्योंकि अरब सागर के रास्ते ही पाकिस्तान से आतंकी भारत पहुंचे थे. इस हमले के बाद से ही भारत ने अपने समुद्री क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने पर काम शुरू कर दिया. लक्षद्वीप भी एक ऐसा आइलैंड है, जहां से भारत में हमला करना या फिर पहुंचना काफी आसान हो सकता है. इसका इस्तेमाल युद्ध के दौरान दुश्मन देश कर सकते हैं. 


ड्रैगन की भारत को घेरने की तैयारी
अरुणाचल और लद्दाख के अलावा चीन समुद्री सीमाओं पर भी भारत के लिए बड़ा खतरा है. चीन ने पिछले कुछ सालों में हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाया है. इस क्षेत्र में चीन कई आइलैंड पर अपनी नेवी का मिलिट्री बेस सेटअप कर रहा है. अमेरिका की तरफ से चीन को लेकर जारी हुई डिफेंस एनुअल रिपोर्ट में अफ्रीकी देश जिबूती में स्थित मिलिट्री बेस का भी जिक्र किया गया था, जहां से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है. इसकी सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आईं थीं. रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन जिबूती में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती की योजना बना रहा है.


चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स पॉलिसी 
जिबूती में अपना मिलिट्री बेस खड़ा करना और यहां इनवेस्ट करना चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स पॉलिसी का एक हिस्सा है. जिसके तहत चीन भारत के तमाम पड़ोसी देशों के पोर्ट्स में इनवेस्ट कर रहा है. सुरक्षा जानकारों का मानना है कि चीन समुद्री सीमाओं पर भारत की घेराबंदी करने के लिए ऐसा कर रहा है. चीन इन देशों में लगातार अपने छोटे मिलिट्री बेस बना रहा है. इसी के तहत चीन ने 2017 में अपना पहला वॉरशिप जिबूती के लिए रवाना किया था. चीन का ये रुख भारत के लिए चिंता पैदा कर रहा है. 


लक्षद्वीप में मिलिट्री बेस के फायदे
अब बात करते हैं कि चीन के बढ़ते दबदबे के बीच लक्षद्वीप कैसे भारत के लिए रणनीतिक तौर पर जरूरी हो सकता है. इस छोटे आइलैंड पर भारत लगातार अपना सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, यानी मिलिट्री बेस तैयार किया जा रहा है. जिससे चीन और पाकिस्तान से आने वाले किसी भी बड़े खतरे को टाला जा सकता है. यही वजह है कि मुंबई हमले के बाद से ही यहां सैन्य ताकत बढ़ाने पर जोर दिया गया, 2010 में पहले कोस्ट गार्ड स्टेशन बनाना और फिर 2012 में नेवी बेस की स्थापना करना इसी का एक उदाहरण है. इसके बाद से ही लगातार लक्षद्वीप में सैन्य गतिविधियां बढ़ती गई. 


चीन का दबदबा होगा कम?
फिलहाल लक्षद्वीप के नजदीक मौजूद मिनकॉय आइलैंड पर भारतीय सेना की तरफ से एक एयरस्ट्रिप का निर्माण किया जा रहा है. जिसकी लंबाई 2.5 किमी की है. खास बात ये है कि इसकी दूरी भारत के सबसे बड़े कोच्चि नेवल बेस काफी कम है. यानी जरूरत पड़ने पर लक्षद्वीप तक पहुंचना सेना के लिए काफी आसान होगा. यानी अगर चीन भारत के पड़ोसी देशों के कोस्टल रीजन का इस्तेमाल कर कुछ बड़ा करने की कोशिश करता है तो लक्षद्वीप से भारतीय सेना उसे रोक सकती है और करारा जवाब भी दे सकती है. यही वजह है कि अब तमाम डिफेंस एक्सपर्ट्स की राय है कि लक्षद्वीप को एक बड़ा मिलिट्री बेस बना देना चाहिए, जिससे चीन के बढ़ते दबदबे को कम करने में मदद मिलेगी. 


ये भी पढ़ें - Naxalism: बंगाल के इस छोटे से गांव से उठी थी नक्सलवाद की चिंगारी, करीब 50 साल से चल रहा लाल सलाम का विद्रोह- ये है पूरी कहानी