Electricity In India: कभी आपने ध्यान दिया है कि आपके घर में बिजली (Electricity)कैसे पहुंचती है. इसका नेटवर्क कैसे काम करता है. पार्कों-इमारतों-खेतों-खलिहानों को पारकर आपके घर पहुंचने वाले बिजली के तार में वोल्टेज (Voltage)कितना होता है? तो आईए आज जानते हैं बिजली के बारे में सबकुछ कि कैसे ये लोगों के घरों को रौशन करती है और लापरवाही हो तो कैसे जान भी ले सकती है. 


भारत में बिजली उत्पादन (Electricity)का अधिकांश हिस्सा (60 फीसदी से अधिक) कोयला (Coal)और भूरा कोयला (Lignite) से पैदा होता है, जबकि जल विद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Project) से लगभग 22 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है. लगातार बिजली की मांग होने के बावजूद भारत में प्रति व्यक्ति सबसे कम बिजली की खपत होती है. पूरी दुनिया में औसतन बिजली की खपत 2429 यूनिट है जबकि भारत में यह 734 यूनिट है.


आप कह सकते हैं कि भारत में बिजली की खपत नहीं के बराबर है. कनाडा (Canada)में बिजली की खपत सबसे अधिक 18, 347 यूनिट है जबकि अमेरिका (America)में यह 13,647 यूनिट और चीन में 2456 यूनिट है.


स्वतंत्रता प्राप्ति के 65 साल बाद भी सरकारी तौर पर 30 राज्यों में से सिर्फ नौ राज्यों- आंध्र प्रदेश, गोवा, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, केरल, पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु में ही पूरी तरह विद्युतीकरण हो पाया है. भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत इतनी कम है जबकि हर साल उसकी मांग में सात फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. यही वजह है कि गर्मियों में बिजली की किल्लत देखी जाती है.


कैसे बिजली हमारे घरों तक पहुंचती है...


भारत में बिजली का उत्पादन 21 kV (किलोवोल्ट ) पर होता है. कुछ जगहों पर यह 16kV का भी होता है. किन्तु यह वोल्टेज बिजली को हज़ारो किलोमीटर दूर इस्तेमाल की जगह तक पहुंचाने के लिए काफ़ी नही है. कम वोल्टेज पर बिजली को ज्यादा दूर तक नहीं भेज सकते और इसमें विद्युतीय ऊर्जा का नुकसान भी अधिक होता है. इसलिये 21kV पर उत्पादित बिजली को हमें स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर से 232kV या 400kV या उससे अधिक वोल्टेज में बदला जाता है


उत्पादन के बाद वोल्टेज बढ़ाने, हाई टेंशन बिजली के तारों से सब स्टेशन तक बिजली पहुंचाने के बाद बड़े-बड़े टॉवरों से ही बिजली को उत्पादन की जगह से वितरण की जगह तक पहुंचाया जाता है.


देश में कई सारे पावर प्लांट हैं जो लगातार बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. ये सारे प्लांट आपस में एक ग्रिड से जुड़े हुए हैं. एक राज्य के सभी पावर प्लांट आपस में जुड़े है जिन्हें स्टेट ग्रिड कहा जाता है. कई स्टेट ग्रिड आपस में मिलकर रीजनल ग्रिड बनाते हैं. भारत में 5 रीजनल ग्रिड है : उत्तर , पश्चिम, पुर्व, दक्षिण और पूर्वोत्तर. 2013 में इन्हें आपस में जोड़कर नेशनल ग्रिड बनाया गया है.


पूरे देश में कैसे होता है बिजली का वितरण
ग्रिड की सहायता से दक्षिण भारत के पावर प्लांट से हम पूर्वोत्तर भारत में बिजली आपूर्ति कर सकते हैं. पूरे भारत में ग्रिड की व्यवस्था PGCIL यानी पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया देखती है.इन ग्रिड से जुड़े होते है सब स्टेशन जो वोल्टेज को 400 , या 232kV से घटा कर 66kV या 33kV पर लाते हैं. यहां से बिजली वितरण कंपनियों को दी जाती है जो ज्यादातर राजकीय बिजली बोर्ड की कंपनियां होती है. ग्रिड की पावर लाइन अलग अलग वोल्टेज पर हैं. ज्यादातर लाइन 400kV AC पर काम करती है 


बिजली वितरण व्यवस्था सीधे ग्राहक तक बिजली पहुंचाने का काम करती हैं. वितरण कंपनी ग्रिड से बिजली खरीद कर इनको ग्राहकों तक पहुंचाती है और ग्राहक से उसकी कीमत लेती है.


सब स्टेशन से बिजली वितरण सब स्टेशन पर आती है. यहां इसे वितरणके लिए 11kV पर घटाया जाता है. सब स्टेशन से लाइन शहर या कस्बो मैं अलग अलग जगह लगे वितरण ट्रांसफार्मर तक पहुंचाई जाती है जहाँ इसे और घटाकर 440वोल्ट तक लाया जाता ह. इसी वितरण ट्रांसफार्मर से ही बिजली सीधे घर तक पहुंचाई जाती है. हम जो अक्सर ट्रांसफार्मर जलने की खबरें सुनते है बिजली कटने पर वो ये वितरण ट्रांसफार्मर ही होते हैं.


440वोल्ट की बिजली, 3 फेज बिजली है. ये 3 फेज बिजली कुछ बड़े कमर्शियल बिल्डिंग को बिजली सप्लाई करने के लिए होती है. आम घरों में 230वोल्ट सिंगल फेज सप्लाई ली जाती है. यह सप्लाई भी वितरण ट्रांसफार्मर से निकली 440वोल्ट सप्लाई से ही ली जाती है.


बिजली को लंबी दूरी तय करने के लिए वोल्टेज बढ़ाने के लिए ट्रांसफार्मर के माध्यम से करंट भेजा जाता है. इसके बाद विद्युत आवेश उच्च वोल्टेज संचरण लाइनों से गुजरता है जो पूरे देश में फैलता है.


यह एक सबस्टेशन तक पहुंचता है, जहां वोल्टेज कम होता है इसलिए इसे छोटी बिजली लाइनों पर भेजा जा सकता है.


यह आपके पड़ोस में वितरण लाइनों के माध्यम से यात्रा करता है. छोटे ट्रांसफार्मर हमारे घरों में उपयोग करने के लिए बिजली को सुरक्षित बनाने के लिए वोल्टेज को फिर से कम करते हैं. ये छोटे ट्रांसफार्मर पोल पर भेजे जाते हैं.


फिर यह आपके घर से जुड़ता है और एक मीटर से गुजरता है जो मापता है कि आपका परिवार कितना उपयोग करता है.


बिजली आपके तहखाने या गैरेज में सर्विस पैनल पर जाती है, जहां ब्रेकर या फ़्यूज़ आपके घर के तारों को ओवरलोड होने से बचाते हैं.


बिजली दीवारों के अंदर तारों के माध्यम से आउटलेट तक जाती है और आपके घर के चारों ओर स्विच करती है.


अगर लापरवाही बरती तो बिजली की वजह से करंट लग सकता है और आपकी जान भी जा सकती है.