Dara Singh Lord Hanuman Role: 1987 में आई रामानंद सागर की रामायण ने लोगों के दिलों पर जो छाप छोड़ी है उसे सदियों तक मिटा पाना मुश्किल है. हालांकि इसके बाद भी कई निर्देशकों ने रामायण बनाई लेकिन अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया वाली रामायण के आगे सभी फीकी नजर आती हैं. इसी में हनुमान का किरदार निभाया था दारा सिंह ने. जब-जब हनुमान की याद आती है तब-तब दारा सिंह का वह किरदार जहन में उतर जाता है. आज देशभर में हनुमान जयंती की धूम है. इस खास मौके पर हम आपके बताते हैं कि हनुमान बनने के लिए आखिर दारा सिंह ने किस कदर मेहनत और जुनून दिखाया था.


तीन घंटे चलता था मेकअप
कहा जाता है कि जब दारा सिंह को यह किरदार ऑफर हुआ था, उस वक्त उन्होंने इसे करने से मना कर दिया था. लेकिन बाद में दारा सिंह इस किरदार में ऐसा जादू किया कि आज तक कोई भूल नहीं पाया है. इंटरव्यू के दौरार दारा सिंह ने बताया था कि उनके चेहरे पर एक मोल्ड मास्क लगा रहता था, जिसे बार-बार उतारने में बहुत परेशानी होती थी. पूरे लुक को सेट करने में करीब तीन से चार घंटे लगते थे. यही वजह थी कि वह करीब 8-9 घंटे तक कुछ खा नहीं पाते थे. 


हनुमान बनने के लिए दारा सिंह का जुनून
उस वक्त वीएफएक्स और मेकअप की उतनी ज्यादा सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं, इसलिए दारा सिंह को हनुमान बनने के लिए इतनी ज्यादा मेहनत पड़ी. हालांकि दारा सिंह ने इतनी देर भूखा रहने के लिए किसी से कभी भी कोई शिकायत नहीं की. दारा सिंह के बेटे विंदु दारा सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने पिता के किरदार के बारे में बात की. उन्होंने कहा, रामानंद सागर ने मेरे पिता को रामायण में लेने का मन बना लिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था. उन्होंने कहा था कि इस उम्र में ऐसे उछल-कूद वाला किरदार देखकर लोग मुझपर हंसेंगे. लेकिन रामानंद सागर को हनुमान के किरदार में कोई और नहीं सूझ रहा था तो उन्होंने दारा सिंह से फिर बात की. बाद में वह भी हनुमान की भूमिका के लिए मना नहीं कर पाए.


हनुमान के लिए थी अलग कुर्सी 
दारा सिंह ने भले ही हनुमान का किरदार निभाने के लिए हामी भर दी हो, लेकिन यह सब करना इतना भी आसान नहीं था. पूंछ की वजह से उनको बैठने में बहुत दिक्कत होती थी. रामानंद सागर के बेटे प्रेम ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि 3-4 घंटे तक चलने वाले इस मेकअप में हनुमान का पूरा लुक मैच कराना होता था. पूंछ लगने के बाद बैठना मुश्किल होता था, इसलिए उनके लिए एक अलग स्टूल रखा था, जिसमें पूंछ के लिए अलग से जगह बनाई गई थी.


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