इरफान खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी सिने जगत के दो ऐसे नाम हैं जो अपनी अदाकारी के चलते दर्शकों के दिलों में राज करते हैं. हाल ही इरफान खान कैंसर के चलते इस दुनिया को अलविदा कह गए. लेकिन कहते हैं न कि इंसान चला जाता है लेकिन अपना काम पीछे छोड़ जाता हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर इरफान खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर एक साइलेंट शॉर्ट फिल्म लगातार ट्रेंड कर रही है.


साल 2003 में आई इस फिल्म का नाम 'बाइपास' है. इस फिल्म का निर्देशन अमित कमार ने किया था. इसकी कहानी और इसका स्क्रीनप्ले भी अमित कुमार ने ही लिखा था. केवल 15 मिनट की इस फिल्म में अमित कुमार एक ऐसी कहानी दिखा देते हैं जिनमें औरत पर हो रहे अत्याचारों से लेकर इंसानों में मरती इंसानियत की भायनक झलत दिखती है. आप भी इस शॉर्ट फिल्म का रिव्यू पढ़ें और जानें कैसी हे ये फिल्म...



कहानी


इस शॉर्ट फिल्म की कहानी बेहद संजीदा है. राजस्थान की पृष्ठभूमि को लेकर बनाई गई इस फिल्म में गरीबी, अमानवता, लालच और हिंसा का एक बेहद तकलीफ दे सच दिखाया गया है. कहानी शुरू होती है जहां एक नया नवेला जोड़ा शादी के बाद गाड़ी में जा रहा होता है.


रेगिस्तान में टीलों के पीछे छिपकर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने एक साथ के साथ मिलकर उनकी गाड़ी पर हमला कर देते हैं. इस दौरान गाड़ी चला रहे युवक की मौत हो जाती है और नवाजुद्दीन सिद्दीकी बेहद बेरहमी के साथ उनके साथ लूटपाट करते हैं.



तभी फिल्म में एंट्री होती है इरफान खान की, जो कि एक पुलिस वाले हैं. इरफान खान गाड़ी के पास पहुंचते हैं और हालात का जयजा लेते हैं. लेकिन इरफान भी करप्ट निकलते हैं और मृत युवक के हाथ से सोने की घड़ी उतारकर चले जाते हैं. इसके बाद कहानी आगे बढ़ती है और एक के बाद एक लालच का बेहद संगीन रूप सामने आने लगते हैं.


एक्टिंग


जब एक ही फिल्म में एक्टिंग के दो पावर हाउस साथ नजर आ रहे हों तो इस पर क्या ही कहा जा सकता है. इरफान खान की बोलती आंखें बिना शब्दों के ही कहानी के कई पहलू दिखाती नजर आती हैं. उनकी आंखों में नफरत, बेरहमी और लालच सभी देखा सकता है. वहीं, नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाते नजर आ रहे हैं. इरफान खान को अपना मेंटर मानने वाले नवाजुद्दीन उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं.


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