लॉकडाउन के दौरान 80 के दशक में टीवी 'महाभारत' को फिर से शुरू किया गया है. इस सीरियल ने अपने वक्त में काफी धूम मचाई थी. सीरियल के कई पात्र की आज भी चर्चा होती है. मगर एक ऐसा भी पात्र महाभरत में था जो अमूर्त था, सीरियल में उसकी केवल अवाज़ ही सुनाई देती थी. इस पात्र का नाम था 'समय'. 'मैं समय हूं' एक सूत्रधार की तरह सीरियल की हर कड़ी को आगे बढ़ाने वाली इस आवाज के पीछे जो शख्स था उनका नाम हरीश भिमानी है.


सीरियल में इस आवाज को गढ़े जाने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है. इस बारे में खुद खुलासा करते हुए हरीश भिमानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जिस वक्त यह सीरियल बनाया जा रहा था उस वक्त उन्हें गूफी पेंटल का फोन आया. गूफी पेंटल, जिन्होंने महाभारत में 'शकुनी' का किरदार निभाया था. गूफी ने हरीश को मिलने के लिए बुलाया. जब हरीश मिलने पहुंचे तो उनकी मुलाकात महाभारत के निर्माता बीआर चोपड़ा से हुई. उनके ही साथ दिग्गज लेखक राही मासूम रजा भी मौजूद थे.


हरीश ने जब उनसे काम के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने बारे में बताने और एक छोटी सी कमेंट्री का वाइस ओवर टेस्ट देने के लिए कहा. हरीश ने बोलना शुरू किया. उन्हेंने जब 'मैं समय हूं' कहा. तब उनकी आवाज की पिच से राही साहब ज्यादा खुश नहीं थे. उन्होंने फिर हरीश को जाने के लिए कह दिया. कुछ दिन के बाद हरीश को फिर से गूफी पेंटल का फोन आया और उन्होंने फिर से मिलने की बात कही. जब हरीश मुलाकता करने पहुंचे तो उनके सामने फिर से वही लोग और वही स्क्रिप्ट थी.


हरीश ने फिर से कोशिश की और इस बार थोड़ी भारी आवाज में बोलना शुरू किया. हरीश बोल रहे थे तभी उनके पीछे से राही साहब आए और कहा कि उन्हें यही पिच पकड़ के रखना पड़ेगा और आगे की बात बोलनी पड़ेगी. हरीश भिमानी उस वक्त यंग थे और उन्हें इस तहर की कमेंट्री थोड़ी गुजरे जमाने की लग रही थी और किसी टीवी सीरियल के सूत्राधार के मुताबिक कतई नहीं लग रही थी. मगर राही मासूम रजा की के कहने पर उन्होंने अपनी उसी पिच में सीरियल महाभारत के लिए 'समय' के रूप में पूरे सीरियल के सूत्रधार बन कर एक अमूर्त किरदार निभाया. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है.


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