न्यूयार्क: अभिनेता और सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुपम खेर ने राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण विवादों में फंसी मधुर भंडारकर की फिल्म 'इंदु सरकार' पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के रवैये के संदर्भ में कहा है कि बोर्ड का मौजूदा परिदृश्य 'हास्यास्पद' बताया है.


अनुपम भी फिल्म 'इंदु सरकार' में एक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं. हाल ही में समाप्त हुए इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी (आईफा) वीकेंड व अवार्ड्स के इतर अनुपम ने आईएएनएस से कहा, "सेंसर बोर्ड में क्या हो रहा है..यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं है बल्कि हास्यास्पद भी है."


उन्होंने कहा, "हम 21वीं सदी में रह रहे हैं. मुझे लगता है कि लोग इतने जिम्मेदार हैं कि वे जानते हैं कि कुछ ऐसी चीजें नहीं करनी चाहिए जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे नहीं होनी चाहिए. हां, सही है, जब हम कुछ बना रहे हों तो हमें उसकी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि हम जो बनाना चाहते हैं, हमारे पास उसे बनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए."


राजनीतिक विरोधों के बीच फंसी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार मधुर भंडारकर की फिल्म 'इंदु सरकार' को बनाने का मकसद देश के युवाओं को आपातकाल की अवधि के बारे में बताना है, जिसने राष्ट्र को बहुत प्रभावित किया था.


इस फिल्म में मधुर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और संजय गांधी के चरित्रों को शामिल किया है. इस फिल्म का कांग्रेस के कई नेता सक्रिय रूप से विरोध कर रहे हैं.


सेंसर बोर्ड ने फिल्म में 12 कट व दो डिस्क्लेमर सुझाए हैं और आरएसएस व अकाली शब्दों को हटाने को कहा है. लेकिन, मधुर इसका विरोध कर रहे हैं.


अनुपम खेर ने कहा, "सरकार ने श्याम बेनेगल के नेतृत्व में एक बोर्ड की स्थापना की थी. इसकी सिफारिशों को निश्चित रूप से लागू किया जाना चाहिए और भारतीय सेंसर बोर्ड की नियम पुस्तिका में इन्हें शामिल किया जाना चाहिए."


उन्होंने कहा, "मौजूदा रूल बुक बहुत पुरानी हो चुकी है. इसे थोड़ा-बहुत संशोधित किया गया है लेकिन इस पर पूरी तरह से दोबारा गौर करने की आवश्यकता है."


अनुपम से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि राजनैतिक पृष्ठभूमि वाली फिल्मों पर लगातार हो रहे विवादों के कारण फिल्मकार इस तरह के विषय चुनने में सतर्कता बरत रहे हैं?


इस पर उन्होंने कहा, "यह वैसे भी हो रहा है..आप किसी से यह नहीं कह सकते कि यही बनाओ. लोग वही बना रहे हैं जो वह बनाना चाहते हैं. बल्कि मुझे लगता है कि यह समय भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग है. आप वह बना सकते हैं जो बनाना चाहते हैं."


उन्होंने कहा, "साथ ही, हमें नकारात्मकता को नजरअंदाज करने की जरूरत है. हम इस पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं."