मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की ज़िंदगी किसी फिल्म से कम नहीं रही है. बचपन में बिगड़ने के डर से मां बाप ने बोर्डिंग स्कूल भेज दिया. जब थोड़े बड़े होकर वापस आए, तो कॉलेज के दौरान ड्रग्स की लत लगा ली. ड्रग्स से छुटकारा पाने के लिए अमेरिका तक में इलाज करवाना पड़ा. बाद में रही सही कसर मुंबई बम ब्लास्ट में नाम आने से पूरी हो गई. 29 जून 2018 को संजय दत्त की बायोपिक 'संजू' रिलीज़ होने वाली है. इस फिल्म में उनके ज़िंदगी के सभी अहम पहलुओं को दिखाया गया है. फिल्म में अभिनेता रणबीर कपूर संजय दत्त की भूमिका निभा रहे हैं. इस मौके पर आज हम आपको संजय दत्त की राजनैतिक पारी के बारे में बता रहे हैं.


संजय की पॉलिटिक्स के पीछे थे अमर सिंह



सारे विवादों के बाद एक चीज़ जो चलता रहा वह था संजय दत्त का फिल्मी सफर. लेकिन संजय की कहानी सिर्फ इतने ही ट्विस्ट एंड टर्न्स पर पूरी नहीं होने वाली थी. इसलिए, संजय ने साल 2009 में राजनीति में भी कदम रख दिया. राजनेता अमर सिंह के सानिध्य में संजू बाबा ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा. जबकि संजय के पिता सुनील दत्त मां नरगिस दत्त और बहन प्रिया दत्त सभी कांग्रेस के पुराने साथी रहे हैं. लेकिन संजय ने इन बातों की परवाह किए बगैर मुलायम सिंह की पार्टी से लखनऊ सीट से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया.


रैलियों में खूब दहाड़ते थे संजय



संजय दत्त उन दिनों पूरी तरह से राजनेता की भाषा बोलने लगे थे. रैलियों में खुद को किसी खास वर्ग से जोड़कर भाषण देते थे. टाडा और पोटा के खिलाफ खुलकर बोलते थे. खुद के साथ हुए पुलिसिया ज्यादतियों को चुनावी रैलियों में जनता को बताते थे. हालांकि किस्मत को ये मंज़ूर नहीं था कि संजय चुनावी मैदान में उतरें. शायद इसीलिए उनका चुनावी पर्चा सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और वह चुनावी मैदान में नहीं उतर पाए.


मायावती से जादू की झप्पी और पप्पी विवाद



संजय दत्त जब चुनाव नहीं लड़ पाए तो तत्कालीन एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उन्हें पार्टी का महासचिव बना दिया. उस दौरान एक रैली में उस समय की उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ संजय दत्त ने एक आपत्तिजनक बयान दे दिया था. उन्होंने एक रैली के दौरान कह दिया था की वह मायावती को ‘जादू की झप्पी और पप्पी देंगे’. संजय के इस बयान पर खूब बवाल हुआ. संजय के इस बयान के बाद उन पर मामला भी दर्ज हो गया था. लेकिन बाद में संजय दत्त ने यह कहते हुए माफी मांग ली थी कि मायावती उनकी बहन की तरह हैं.


एसपी में जाने पर बहन प्रिया से बढ़ गई थीं दूरियां



जब संजय दत्त समाजवादी पार्टी से जुड़े और चुनाव लड़ने का एलान किया तब उनकी बहन प्रिया दत्त ने कहा था कि वह अपने भाई के इस फैसले से दुखी हैं. उन दिनों दत्त भाई-बहन में दूरिया साफ देखी जा सकती थीं. संजय दत्त से जब बहन को लेकर सवाल किया गया था तो संजू बाबा ने कहा था कि वह अपने घर में सबसे बड़े हैं और अपने फैसले वह खुद करते हैं.


एसपी से अलग होना



कहा जाता है कि अमर सिंह और समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव के बीच कुछ अनबन हुई जिसके बाद उन्होंने पार्टी के सभी पदों को छोड़ने का साथ ही मुक्ति मांगी थी. जिसके बाद संजय दत्त भी उनके समर्थन में आ गए थे और उन्होंने कह दिया था कि जब तक अमर सिंह पार्टी में रहेगें तभी तक वह भी पार्टी का हिस्सा होंगे. बाद में उन्होंने पार्टी को बाय बाय कह दिया था.


'दत्त खानदान के खून में कांग्रेस पार्टी ही है'



संजय दत्त का परिवार शुरू से ही कांग्रेस का करीबी रहा, लेकिन संजय दत्त ने अपने पॉलिटिक्स की शुरुआत एसपी से की. हालांकि वह कभी चुनाव नहीं लड़ पाए लेकिन रैलियों में भाषण देना तो उन्होंने एसपी के मंच से ही सीखा. लेकिन जब एसपी से वह अलग हुए तो उसके बाद वह कई बार अलग-अलग इंटरव्यू में कांग्रेस की तारीफ करने लगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘दत्त खानदान के खून में कांग्रेस पार्टी है.' इसके अलावा संजय यह बात भी कहते हैं कि एसपी ज्वाइन करना उनकी बड़ी भूल थी. संजय दत्त ने एक बार इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा था कि अगर कांग्रेस पार्टी चाहेगी तो वह उनके साथ ज़रूर आएंगे.


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