कास्ट: दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, शाहिद कपूर 


डायरेक्टर: संजय लीला भंसाली


रेटिंग: *** (तीन स्टार)


लंबे इंतजार, बवाल, विवाद, हिंसा, विरोध-प्रदर्शन और कोर्ट कचहरी के चक्कर के बाद फिल्म पद्मावत 25 जनवरी को पूरे देश के सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है. फिल्म की रिलीज़ से दो दिन पहले पत्रकारों के लिए फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई. ऐसे में अब सबके जेहन में ये सवाल है कि आखिर फिल्म के जिस पहलू को लेकर बवाल काटा गया, रानी पद्मावती और दिल्ली सल्तनत के शहंशाह अलाउद्दीन खिलजी के प्यार के सीन की बातें दोहराई जाती रही उसमें क्या सच्चाई है? फिल्म की कहानी, पटकथा, फिल्मांकन, गीत, संगीत और एक्टिंग कैसी है. एबीपी न्यूज़ के तीन वरिष्ठ पत्रकारों ने इस फिल्म को देखी और उन सभी पहलुओं पर गौर किया.


जानिए-  ABP न्यूज़ के तीन वरिष्ठ पत्रकारों की जुबानी कैसी है फिल्म और राजपूत समाज का विरोध क्यों बेमानी था.


एबीपी के वरिष्ठ पत्रकार दिबांग, कार्यकारी संपादक विजय विद्रोही और एंकर अनुराग मुस्कान ने फिल्म देखी है.


इस फिल्म को लेकर सबसे बड़ा आरोप था कि इसमें ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. इसपर दिबांग का कहना है कि फिल्म में काफी बड़े-बड़े दो डिस्कलेमर दिए गए हैं जिनमें साफ तौर पर कहा गया है कि ये फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी की महाकव्या 'पद्मावती' से प्रेरित है उसपर आधारित नहीं. इसके साथ ही फिल्म के नाम से लेकर बाकी के कंटेंट में होने वाले बदलावों तक फिल्म में सेंसर बोर्ड की सारी शर्तें पूरी तरह से मानी गई हैं.


फिल्म को लेकर दूसरा सबसे बड़ा विवाद था 'घूमर' डांस को लेकर. इसपर विजय विद्रोही का कहना है कि फिल्म देखने के बाद ये साफ है कि 'घूमर' गाने में संजय लीला भंसाली ने सभी शिकायतों का निबटारा कर दिया है. फिल्म में VFX तकनीक की मदद से दीपिका की कमर को ढ़क दिया गया है. इसके साथ ही इस गाने में जब पद्मावती के किरदार में दीपिका घूमर डांस करती हैं तो राजा रावल रत्न सिंह के अलावा कोई अन्य पुरुष वहां मौजूद नहीं होता, सिवाय कुछ एक सैनिक, जिनकी सिर्फ पीठ दिखाई गई है.


ऐतिहासिक स्थलों को लेकर उठे सवाल पर दिबांग ने बताया है कि फिल्म में विवाद जैसा कुछ भी नहीं है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोगों ने सुनी सुनाई बातों पर विश्वास किया. कुल मिलाकर फिल्म पर जो भी आरोप लग रहे थे उन सबको ये फिल्म खारिज कर रही है.


फिल्म को लेकर तीसरा सबसे बड़ा आरोप था कि उसमें खिलजी और रानी पद्मावती के बीच ड्रीम सीन फिल्माए गए हैं. लेकिन हकीकत में ड्रीम सीन जैसा कुछ भी नहीं है. फिल्म में 2 मिनट 45 सेकेंड का सीन है, लेकिन खिलजी और पद्मावती को एक फ्रेम में नहीं दिखाया गया है.  एक बार खिलजी ख्वाब में पद्मावती को देखता है वो भी शीशे में और उस सीन को भी धुएं में फिल्माया गया है.


इस सीन के बारे में विजय विद्रोही का कहना है कि 15-20 सेकेंड का शीशे वाला सीन है और उसे भी धुएं में फिल्माया गया है. इसके साथ ही संजय लीला भंसाली ने फिल्म में बाद में साफ भी कर दिया कि खिलजी कहता है, ''मैं तो रानी को एक बार भी ठीक से नहीं देख पाया.''


कथित ड्रीम सीन के बारे में दिबांग का कहना है कि फिल्म में पद्मावती और खिलजी का कोई भी ड्रीम सीन नहीं है. जिसको आपने देखा ही नहीं है सिर्फ सुना है उसके बारे में चित्र कैसे बना सकते हैं. जब खिलजी ने रानी को देखा ही नहीं तो सिर्फ सुनकर उनकी कल्पना कैसे कर सकता है.


ये तो थे फिल्म से जुड़े विवादों के लेकर उनके जवाब अब बात करते हैं फिल्म के सेट, संगीत कास्ट और डायरेक्शन की.


दिबांग और विजय का कहना है कि फिल्म का सेट काफी भव्य और रंगीन है. जो समा बंधे रखता है. हालांकि डायरेक्शन की बात करें तो फिल्म थोड़ा खींचती है. आपका मन करता है कि अब आगे बढ़ें.


विजय विद्रोही का कहना है कि फिल्म की शुरुआत थोड़ी नीरस है लेकिन जौहर का सीन बहुत अच्छे ढंग से फिल्माया गया है. इसके साथ ही कास्ट की बात करते हुए उन्होंने बताया है कि रणवीर सिंह ने खिलजी की भूमिका में आक्रमणकारी और क्रूरता का भाव बहुत ही अच्छे तरीके से फिल्माया है लेकिन राजा रावल रतन सिंह की भूमिका में वीरता और शौर्य के बजाय थोड़ी उदासीनता है.


वहीं फिल्म के कंटेंट के बारे में दिबांग ने बताया है कि ये फिल्म कहीं भी राजपूतों का अपमान नहीं करती बल्कि समय समय पर बताती है कि कितने महान है राजपूत योद्धा. फिल्म के डायलॉग्स रोंगटे खड़े करने वाले हैं. साथ ही राजपूतों की गौरव गाथाएं बहुत अच्छे ढंग से दिखाई गईं हैं.


अनुराग मुस्कान ने इस फिल्म को सराहा है और वो फिल्म को तीन स्टार देते हैं.


देखिए- फिल्म की  पूरी कहानी, विवद का सच और एक्टिंग से लेकर गीत-संगीत