मुंबई : 'सिमरन' कहानी है एक लड़की की जो अमेरिका में अपने परिवार के साथ रहती है...एक बड़े होटल में हाउसकीपिंग का काम करती है. पिता से उसकी नहीं बनती क्योंकि उनके विचार नहीं मिलते. प्रफुल्ल जो कंगना का किरदार है वो तलाकशुदा है, दोबारा शादी नहीं करना चाहती.


प्रफुल्ल पैसे जमा कर रही है ताकि अपना खुद का घर खरीद सके. वो अपनी जिंदगी खुलकर जीना चाहती है. पिता से उसकी नाइत्तेफाकियों की वजह से अक्सर घर में क्लेश होता है. ऐसे में कंगना यानी प्रफुल्ल अपनी कजिन के साथ वेगास घुमने जाती है. वहां कसीनो में मौज मस्ती के चक्कर में अपने जोडे हुए पैसे भी गवां बैठती है. उसी पैसे को वापस जीतने के लिए प्रफुल्ल कसीनो के मालिक से काफी पैसे उधार लेती है मगर बदकिस्मती से वो इसे भी हार जाती है.

अब शुरु होती है प्रफुल्ल की परेशानियां और वो बन जाती है सुपर हीरो. बड़ी ही आसानी के साथ प्रफुल्ल की अकेली फौज एक के बाद एक बैंक लूटती है और फिर काफी जद्दोजहद के बाद वो खुद को सरेंडर भी कर देती है.

फिल्म की कमजोर कड़ियां...

1. कहानी इस फिल्म की विलेन है. निर्देशक हंसल मेहता के नाम से उम्मीद बढ़ जाती है मगर यहां निराशा हाथ लगी. निर्देशक के पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं था. शुरु के 30 मिनट के बाद ही फिल्म बोर करने लगती है.
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2. कंगना रनौत बेशक एक उम्दा अभिनेत्री हैं मगर फिल्म के हर एक फ्रेम में उनकी मौजूदगी जरूरत से ज्यादा लगती है.


3. कंगना को इस तरह के बिंदास किरदार में हम 'क्वीन' और 'तनु वेड्स मनु' में देख और पसंद कर चुके हैं.


4. फिल्म में कंगना के जीवन में आनेवाले हीरो भी यहां फिट नहीं बैठते.

5. 'सिमरन' में बहुत सारे संवाद अंग्रेजी में हैं जो शायद आम दर्शकों को पसंद ना आए.

6.  अमेरिका जैसे देश में बैंक लूटना इतना आसान होता है और यह बात कुछ हज़म नहीं होती.


क्यों देख सकते हैं फिल्म...

1. कमजोर कहानी के बावजूद दर्शकों को बांधने की कला कंगना को बखूबी आता है.

2. जगह-जगह कंगना के वन लाइनर्स लोगों को हसाएंगे और गुदगुदाएंगे. वह एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं और एकबार फिर उन्होंने यह साबित कर दिया है.

3. सिंगल रहने दे…गाना आपको अच्छा लगेगा.