Rang Barse Song Story: रंगों के त्योहार होली का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर और बॉलीवुड गानों पर नाच-गाकर हर कोई इस रंगीले त्योहार पर खूब मस्ती करता है. लेकिन बॉलीवुड के एक गाने को बजाए बिना होली का त्योहार फीका लगता है. ये गाना है अमिताभ बच्चन की आइकॉनिक फिल्म ‘सिलसिला’ का ‘रंग बरसे’ सॉन्ग. होली पर जब ये गाना बजता है तो हर किसी के पैर अपने आप ही थिरकने लगते हैं. सालों से इस सॉन्ग का मैजिक बरकरार है.  लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस क्लासिक सॉन्ग के पीछे की कहानी क्या है? आज इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर ‘रंग बरसे’ गाना कैस बना था?


सिलसिला फिल्म का गाना है ‘रंग बरसे’ 
यश चोपड़ा की शानदार रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'सिलसिला' 1981 में आई थी. इस फिल्म के बेहद पॉपुलर सॉन्ग ‘रंग बरसे’ को अमिताभ बच्चन, रेखा, संजीव कुमार और जया बच्चन पर फिल्माया गया था. इस 6 मिनट 6 सेकंड के आइकॉनिक सॉन्ग को खुद अमिताभ बच्चन ने गाया था और उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने इसके लिरिक्स लिखे था. यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस सॉन्ग के म्यूजिक कंपोजर शिव-हरि थे. ‘रंग बरसे’ की मेकिंग कैसे हुई थी इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है जिसे फिल्म क्रिटिक जयप्रकाश चौकसे ने बीबीसी को बताई थी.


‘रंग बरसे’ गाना कैस बना था?
उन्होंने खुलासा किया था कि जब आरके स्टूडियों में ग्रैंड होली पार्टी हुआ करती थी तो फिल्म इंडस्ट्री के सभी स्टार्स इस पार्टी में शामिल होते थे. इस दौरान ये कलाकार अपने टैलेंट को भी पेश करते थे. वहीं एक बार राजकपूर की इस फेमस होली पार्टी में बॉलीवुड के शहंशाह यानी अमिताभ बच्चन भी पहुंचे थे. उस समय अमिताभ का करियर का ग्राफ काफी खराब चल रहा था उनकी 9 फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं. पार्टी में राज कपूर ने अमिताभ से कहा, “ आज कुछ अपना टैलेंट दिखाकर धमाल कर दो. इस पर अमिताभ ने बचपन से अपने पिता से सुने गाने रंग बरसे को पार्टी में सुनाया और फिर क्या था अमिताभ की आवाज का जादू यश चोपड़ा पर चल गया. इसके बाद यश चोपड़ा ने अमिताभ को 'सिलसिला' में लिया और 'रंग बरसे' के लिरिक्स को एक्टर के पिता हरिवंश राय से लिखवाया. इसके बाद अमिताभ ने फिल्म में इस आइकॉनिक गाने को अपनी आवाज में गाया. फिल्म तो फ्लॉप रही लेकिन ये गाना अमर हो गया.



मीरा के भजन पर आधारित है ‘रंग बरसे’ सॉन्ग
बता दें कि रंग बरसे सॉन्ग रियल में मीरा के एक पारंपरिक भजन पर आधारित था. भले ही लिरिक्स कवि हरिवंश राय बच्चन के थे और सॉन्ग शिव-हरि ने कंपोज किया था. लेकिन ओरिजनल भजन, “रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे / कुन ए मीरा तेरो मंदिर चिनायो, कुन चिनायो तेरो देवरो / रंग बरसे ओ मीरा भवन में रंग बरसे.” थासिलसिला फिल्म में इस गाने को स्क्रिप्ट में फिट करने के लिए बदल दिया गया था. लेकिन भजन पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के बीच पॉपुलर रहा.


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