नई दिल्ली: बॉलीवुड के 'बैडमैन' के रूप में मशहूर दिग्गज कलाकार गुलशन ग्रोवर का कहना है कि नायकों द्वारा अपने अभिनय का दूसरा पक्ष दिखाना अच्छी बात है, लेकिन उनका मानना है कि हर फिल्म के अंत में खलनायक को 'पीटा व अपमानित' किया जाना चाहिए, उसका किसी भी तरह से महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए.
साल 1980 से अब तक 400 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके गुलशन नायकों द्वारा नकारात्मक किरदार निभाना अच्छा संकेत मानते हैं.
गुलशन ने बिना किसी का नाम लिए मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, "कलाकार कुछ अलग और दिलचस्प निभाना चाहते हैं. मुझे बहुत खुशी है कि मेरे कई नायक मित्र खलनायक का किरदार निभा रहे हैं. वे हमें यह भी दिखा रहे हैं कि कैसे एक अलग आयाम से खलनायक की भूमिका निभाई जा सकती है. मेरे कई प्रतिभासाली और करीबी दोस्तों ने इस प्रारूप में शानदार काम किया है."
उन्होंने कहा, "मेरी राय उनसे (नायकों) बस इस मामले में अलग है कि जब आप खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं तो फिल्म के अंत में इसका महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए, कलाकार चाहे जो भी हो."
गुलशन (61) के मुताबिक, खलनायक को पिटता हुआ, दया की भीख मांगता हुआ और चाहे कितना ही धनाढ्य क्यों न हो उसे बुरी हालत में दिखाना चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि नायक होने और अमीर होने पर भी गलत काम करने पर आपके साथ ऐसा होगा.
वास्तविक जीवन में अपराध करने वालों और जेल में बंद कैदियों पर 'रमन राघव 2.0', 'डॉन', 'वन्स अपॉन ए टाइम', 'ब्लैक फ्राइडे', 'रईस' जैसी कई फिल्म बन चुकी हैं.
'राम लखन', 'सौदागर' और 'मोहरा' जैसी फिल्मों में काम करने वाले गुलशन ने कहा कि खलनायकों का महिमामंडन करना किसी भी तरीके से विवादास्पद मसला है.
गुलशन की वेब फिल्म 'बैडमैन' 24 जून को मास्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मंगलवार को लंदन भारतीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित हुई.
बॉलीवुड में सेंसरशिप को गुलशन उचित नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि दृश्यों की काट-छांट से फिल्म को नुकसान होता है.