Tun Tun Unknown Facts: 11 जुलाई 1923 के दिन उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के छोटे से गांव में जन्मी टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था. टुनटुन जब करीब दो या ढाई साल की थीं, तब जमीन के विवाद के चलते उनके माता-पिता की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद टुनटुन की परवरिश उनके चाचा ने की थी. बर्थ एनिवर्सरी स्पेशल में हम आज आपको उमा देवी खत्री उर्फ टुनटुन की जिंदगी के चंद पन्नों से रूबरू करा रहे हैं. 


बॉलीवुड में ऐसे बनी थीं सिंगर


बता दें कि टुनटुन बचपन से ही सिंगर बनना चाहती थीं. इसके लिए वह 13 साल की उम्र में घर छोड़कर भाग गई थीं और मुंबई पहुंच गईं. मुंबई में उनकी मुलाकात संगीतकार नौशाद से हुई. टुनटुन ने उनके सामने गाना गाने की ख्वाहिश जाहिर की. नौशाद ने इनकार किया तो टुनटुन जिद पर अड़ गईं. उन्होंने कहा कि अगर गाना गाने का मौका नहीं मिला तो वह समंदर में कूद जाएंगी. नौशाद ने छोटा-सा ऑडिशन लिया और आवाज से खुश होकर टुनटुन को गाना गाने का मौका दे दिया. उन्होंने सबसे पहले अफसाना लिख रही हूं गाना गाया, जिसने धूम मचा दी और टुनटुन की झोली में कई और गाने आ गए. 


इस वजह से एक्टिंग में आजमाया हाथ


बता दें कि टुनटुन ने करीब 40-45 गानों को अपनी आवाज दी थी. इसके बाद आशा भोसले, लता मंगेशकर और नूरजहां का दौर शुरू हो गया तो टुनटुन को काम मिलना मुश्किल हो गया. ऐसे में उन्होंने एक्टिंग की फील्ड में हाथ आजमाने का फैसला कर लिया. 1950 में वह पहली बार फिल्म बाबुल में नजर आईं और बॉलीवुड की पहली महिला कॉमेडियन बन गईं. कहा जाता है कि मोटापे की वजह से टुनटुन को कॉमेडी रोल ही ऑफर किए जाते थे. बाद में टुनटुन का मस्तमौला अंदाज ही उनकी पहचान बन गया. 


माता-पिता को यूं किया था याद


अपने निधन से दो दिन पहले टुनटुन ने एक इंटरव्यू दिया था. दरअसल, उस दौरान उनसे उनके माता-पिता के बारे में सवाल पूछा गया था. टुनटुन ने कहा था, 'मैं नहीं जानती कि मेरे माता-पिता कैसे दिखते थे, क्योंकि जब मैं दो-ढाई साल की थी, उस वक्त उनकी हत्या कर दी गई थी. जब मैं चार-पांच साल की गई तो मेरे भाई हरि का भी कत्ल कर दिया गया.' बता दें कि 24 नवंबर 2003 के दिन टुनटुन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.


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