नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा विवाद फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है. आज संजय लीला भंसाली संसदीय समिति की बैठक में पहुंचे. वहीं, सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी लोकसभा कमेटी के समक्ष इस पूरे विवाद पर अपना मत रखने पहुंचे.


प्रसून जोशी ने 30 सदस्यी समिति के समक्ष अपने विचार रखे, इस समिति में परेश रावल, राज बब्बर और अनुराग ठाकुर समेत कई सांसद सदस्य हैं. प्रसून ने समिति को बताया कि अभी तक फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है, फिल्म प्रमाणन अभी प्रक्रिया में है.

सेंसर बोर्ड ने अभी केवल फिल्म के ट्रेलर और प्रोमो को ही प्रमाणित किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक समिति के मेंबर्स ने फिल्म के ट्रेलर को लेकर भी आपत्ति जताई है और उस पर भी रोक की मांग की है. जिन तीन सदस्यों ने फिल्म को बैन करने की बात कही उनमें दो बीजेपी के हैं और एक शिवसेना के हैं.

वहीं, सेंसर बोर्ड चीफ प्रसून जोशी ने कहा कि उन्होंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है. बैठक में इस बात को लेकर भी सवाल किया गया कि जब यह फिल्म भारत में सेंसर बोर्ड द्वारा पास नहीं की गई है तो उसे ब्रिटिश सेंसर बोर्ड के पास क्यों भेजा गया?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भंसाली ने समिति के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी ये फिल्म इतिहास पर आधिरित नहीं है, फिल्म जायसी के काव्य पद्मावत पर आधारित है.

बैन करने की याचिका को दो बार खारिज कर चुका है सुप्रीम कोर्ट

इस फिल्म की रिलीज  पर रोक लगाने की याचिका को अब तक सुप्रीम कोर्ट दो बार खारिज कर चुका है. हाल ही में इस फिल्म को विदेश में भी रोकने के लिए याचिका दायर की गई थी उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर बड़े नेताओं द्वारा की जा रही टिप्पणियों से भी नाराज हैऔर उन्हें ऐसा ना करने की हिदायत दे चुका है.

हाल ही में चीफ जस्टिस ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा, "साधारण लोग फ़िल्म पर कोई भी बात कर सकते हैं. लेकिन बड़े पद पर बैठे लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं? जब सुप्रीम कोर्ट फ़िल्म की सामग्री पर विचार नहीं कर रहा, तो ज़िम्मेदार लोगों को भी इस बात को समझना चाहिए. आप सेंसर बोर्ड को उसका काम करने दें."