Kader Khan Untold Story: हिंदी सिनेमा में भले ही कितने भी टैलेंटेड एक्टर्स आ जाएं लेकिन पिछले कुछ एक्टर्स की खाली जगह कभी नहीं भर सकते. ऐसा ही एक एक्टर था जिसने जब सीरियस रोल किया तो लोगों को रुला दिया लेकिन जब कॉमेडी रोल किए तो लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया. उस एक्टर का नाम था कादर खान जो कमाल के एक्टर थे. एक्टर होने के साथ ही वो गजब के राइटर भी थे, फिल्मों की कहानी हो या फिल्मों के डायलॉग्स वो हर चीज में माहिर थे.


कादर खान हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रहे हैं जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. सबको हंसाने वाला ये एक्टर बचपन में बहुत तकलीफ में रहा और अंत दिनों में बोलने के लिए भी तरसा. कादर खान बहुत गरीब परिवार से थे और अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने वो मुकाम हासिल किया जिसके सपने लोग देखते हैं. चलिए आपको उनके संघर्ष के बारे में कुछ अनसुनी बातें बताते हैं.


कादर खान का फैमिली बैकग्राउंड


22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में कादर खान का जन्म एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था. इनके पिता अब्दुल रहमान खान अफगानी थे लेकिन इनकी मां इकबाल खान ब्रिटिश भारत के पिशीन शहर (अब पाकिस्तान में) से थीं. जब भारत आजाद हुआ तो हालात बहुत खराब थे तो कादर खान के पैरेंट्स उन्हें और उनके दो भाईयों को मुंबई ले आए. कादर खान और उनका परिवार मुंबई के माठीपुरा में किराए के दो छोटे से कमरे में रहता था. उस जगह को मुंबई की गंदी बस्ती भी कहते हैं.




मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिफ्यूजी होने के कारण कादर खान के परिवार की हालत बहुत खराब थी और उस जगह की गंदगी से उनके दो भाईयों की मौत हो चुकी थी. उनके माता-पिता को कादर की बहुत चिंता होने लगी. कादर खान के पिता को हिंदी, उर्दू के अलावा फारसी, अरबी जैसी कई भाषाएं आती थीं तो उनकी मस्जिद में नौकरी लग गई. लेकिन गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा था.


कादर खान का संघर्ष 


कादर खान की मां और पिता के बीच काफी झगड़े होने लगे और बात तलाक तक आई. जब कादर छोटे थे तभी उनके माता-पिता अलग हो गए. एक इंटरव्यू में कादर खान ने खुद बताया था कि उनके नाना ने उनकी मां की शादी किसी और से कराई लेकिन उनके भी झगड़े होते थे. उनके सौतेले पिता उन्हें भीख मांगने के लिए भेज दिया करते थे लेकिन कादर पढ़ना चाहते थे, कुछ बनना चाहते थे. कादर की मां चाहती थीं कि वो पढ़ाई करे, बड़ा ऑफिसर बने और इज्जत की रोटी खाए.




कादर अपनी मां से बहुत प्यार करते थे तो उन्होंने बड़ा आदमी बनने की ठान ली और खूब पढ़ाई की. जब कादर टीनएजर थे तब उनकी मां का निधन हो गया जिससे वो टूट गए लेकिन हार नहीं मानी. कादर खान सरकारी स्कूल से पढ़ाई करते थे लेकिन कॉलेज की पढ़ाई इस्माइल यूसुफ कॉलेज की और उसी दौरान वो थिएटर्स भी करने लगे थे. कादर खान ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और सिविल इंजीनियर बन गए. बाद में उसी कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्त हो गए. कादर खान दिमाग के बहुत तेज थे और उन्होंने नौकरी के साथ भी थिएटर्स जारी रखा.


कादर खान को पहली फिल्म कैसे मिली?


कादर खान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि कॉलेज में जितने भी प्ले होते थे उन्हें वो लिखते और ऑर्गेनाइज भी कराते थे. एक बार एक प्ले होना था और वो एक्टर आ नहीं पाया. कादर खान के सहयोगियों ने उन्हें वो रोल करने को कहा नहीं तो पूरा प्ले खराब हो जाता. उस प्ले के चीफ गेस्ट उस तौर के सुपरस्टार दिलीप कुमार थे.




कादर खान ने मजबूरी में वो रोल किया और दिलीप कुमार को भा गया.  दिलीप कुमार ने कादर को अपनी दो फिल्मों 'सगीना' और 'बैराग' की स्क्रिप्ट की जिम्मेदारी दी. इसके बाद कादर खान ने 'जवानी दीवानी' की स्क्रिप्ट भी लिखी. बतौर एक्टर कादर खान की पहली फिल्म दाग (1973) थी. कादर खान ने एक्टिंग के साथ-साथ स्क्रिप्ट राइटिंग और डायलॉग्स राइटिंग का काम भी जारी रखा. कादर खान ने अपने फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्में की थीं.


कादर खान का निधन कैसे हुआ?


कादर खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे. कई सालों से तो उन्होंने बोलना भी बंद कर दिया था. फिल्मों में काम करना उन्होंने 2005 के बाद काफी कम और लगभग खत्म ही कर दिया था. 28 दिसंबर 2018 को कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया. कनाडा उनका इलाज कराने के लिए उनके बेटे लेकर गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कादर खान का अंतिम संस्कार उनके बेटों ने वहीं एक मुस्लिम कब्रिस्तान में कर दिया था.


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