साल 2020 में जिन फिल्मों ने दर्शकों को निराश नहीं किया उनकी संख्या बेहद कम ही रही है. इन फिल्मों को पसंद करने की प्रमुख वजह ये रही कि इन फिल्मों को बहुत ही गंभीरता से बनाया गया था. विषय को अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने के कारण ये फिल्में बुरे दौर में भी दर्शकों को लुभाने में कामयाब रहीं.


छलांग: हल्की-फुल्की फिल्म जो निराश नहीं करती हैं, टाइम पास करती है
निर्देशक हंसल मेहता और ऐक्टर राजकुमार राव की जोड़ी ‘छलांग’ काफी हद तक दर्शकों को आकर्षित करने में सफल रही. हरियाणा में स्पोट्र्स कल्चर के बहाने गढ़ी पिटी टीचर की इस कहानी में रोमांच और रोमांस का डोज लोगों को पसंद नहीं आता है. टाइम पास के लिए यह फिल्म लोगों को निराश नहीं करती है. छलांग की कहानी ग्लैमर या तड़क भड़क नहीं है. राजकुमार ने अच्छा अभिनय किया है.


Chhalaang Review: अपनी कमियों को जीतने का है संदेश यहां, कमजोर कहानी में ऐक्टरों ने लगाया दम


गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' एक सदेंश देती है और सोचने पर मजबूर करती है
जाह्नवी कपूर की दूसरी फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' लोगों को आकर्षित करती है. यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 12 अगस्त को रिलीज हुई थी. गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल हमारी वायुसेना की पहली ऐसी महिला पायलट की कहानी है, जिसने युद्ध में भी हिस्सा लिया. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों को हथियार और रसद पहुंचाई, घायल सैनिकों को युद्धभूमि से लेकर खेमों में पहुंचाया, बर्फीले ऊंचे पहाड़ों पर पाकिस्तानी आतंकियों-सैनिकों के ठिकाने ढूंढे और अपनी सेना को खबर दी.


Gunjan Saxena- The Kargil Girl Review: मेहनत के बाद अब गुंजन को चाहिए किस्मत का साथ


रात अकेली है: दर्शकों को अंत तक बांधकर रखती है
रात अकेली है यह हिंदी पट्टी की कहानी. जिसमें खामखां की तड़क-भड़क नहीं है. हत्यारे की तलाश करता सांवला इंस्पेक्टर फेयर एंड लवली लगाता है और एक बूढ़े की दूसरी बीवी बनने को मजबूर जवान युवती उसकी हत्या के शक के घेरे में है. कोरोना काल में आई यह अभी तक की सबसे इंट्रस्टिंग कहानी है, जो दर्शकों को हिलने नहीं देती है.


Raat Akeli Hai Review: चार मर्डर, एक इंस्पेक्टर और सवाल यह कि कितने आदमी थे?


दिल बेचारा है: सुशांत की अंतिम फिल्म, जो आंखों को नम कर देती है
दिल बेचारा है, जीवन और मृत्यु लेकर भावुक करती है. यह फिल्म दो युवाओं के धड़कते हुए दिल के जज्बातों को बयां करती है. सुशांत सिंह राजपूत स्क्रीन पर आते हैं तो लोगों की आंखे नम होने लगती हैं. दर्शकों का यह प्यार कलाकार को अमर बनाता है. सुशांत सिंह राजपूत को गुजरे कई महीने गुजर चुके हैं. लेकिन दिल बेचारा देखने के बाद अब आप इस युवा ऐक्टर के लिए अंतिम तौर पर श्रद्धांजलि स्वरूप ये शब्द कह सकते हैं. यह सुशांत की अंतिम फिल्म है और इसे देखते हुए लगता है मानो इसकी शूटिंग की पृष्ठभूमि में सचमुच उनके द्वारा जीवन को अलविदा कहने की पटकथा लिखी जा रही थी.


Dil Bechara Review: सुशांत के लिए नहीं हो सकती इससे खूबसूरत विदाई


परीक्षा: प्रकाश झा की एक मार्मिक रचना, जो रूलाती है और सोचने पर मजबूर करती है
परीक्षा निर्देशक प्रकाश झा की एक सीधी और सरल कहानी है. जिसमें समाज के वंचित तबके के प्रतिभा संपन्न बच्चों को भी फाइवस्टार स्कूलों में सम्मानजनक जगह मिलने का मार्मिक संदेश देती है. परीक्षा की कहानी भले ही रूमानी-सी हो मगर इसकी सख्त रीढ़ हैं, आदिल हुसैन. वह जिस अंदाज और रंग-ढंग में अपने किरदार में ढले हैं, उसे देख कर लगता है कि वह बरसों से बच्चों को अपने साइकिल रिक्शा पर ढो रहे हैं. उनका यह किरदार सिनेमा के अध्ययन की किताबों में दर्ज होने काबिल है. एक बार इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए.


Pareeksha Review: इस परीक्षा में पास हैं प्रकाश झा और आदिल हुसैन