UP Assembly Elections: उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव (UP Elections) दिन पर दिन दिलचस्प होता जा रहा है. हाल ही में बीजेपी (BJP) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanth) को गोरखपुर (Gorakhpur) शहर से अपना उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं, चर्चा है कि समाजवादी पार्टी (Akhilesh Yadav) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने की तैयारी कर ली है. हालांकि अभी इसका औपचारिक एलान होना बाकी है. साथ ही अखिलेश किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, ये भी अभी साफ नहीं है. बड़ी बात यह है कि सीएम योगी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, जिससे ये चुनाव अब और दिलचस्प हो चला है. दिलचस्प इसलिए भी है क्योंकि इस बार तमाम सर्वों में समाजवादी पार्टी सत्ताधारी बीजेपी को कड़ी टक्कर देती हुई नज़र आ रही है.


पहली बार लड़ेंगे विधानसभा चुनाव!


साल 2012 में पहली बार यूपी की गद्दी पर विराजमान होने वाले अखिलेश यादव फिलहाल आजमगढ़ से सांसद हैं. अगर अखिलेश यूपी चुनाव लड़ते हैं तो यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा. साल 2012 का चुनाव समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के चेहरे पर लड़ा था. पार्टी को पूर्व बहुमत मिला और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. तब अखिलेश यादव विधायक नहीं बल्कि सांसद थे. सीएम बनने के बाद अखिलेश ने लोकसभा से इस्तीफा दिया और एमएलसी बनकर विधानसभा पहुंचे.




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पहला कारण: सपा मजबूत स्थिति में


साल 2017 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले अखिलेश की समाजवादी पार्टी इस बार ज्यादा मजबूत स्थिति में है. बीजेपी के खिलाफ विरोध की लहर का सीधा फायदा समाजवादी पार्टी को हुआ है. बीजेपी के कई बड़े नेता और योगी के तीन मंत्रियों ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के इरादे से दल बदल किया है, इससे भी पार्टी मजबूत हुई है. फिलहाल तमाम चुनावी सर्वे इस बात का बखान कर रहे हैं कि अगर सूबे में कोई पार्टी बीजेपी को सीधे चुनौती दे रही है तो वह समाजवादी पार्टी ही है. उसके आस पास भी कोई नहीं है.


हाल ही में एबीपी न्यूज़ सी वोटर के सर्वे में जब जनता से पूछा गया कि राज्य में किस पार्टी की सरकार बनने जा रही है तो 50 फीसदी जनता का मानना है कि यूपी में बीजेपी को सत्ता हासिल होगी. वहीं 28 फीसदी जनता को लगता है समाजवादी पार्टी इस बार यूपी में जीत हासिल करेगी. 9 फीसदी लोगों को लगता है कि बहुजन समाज पार्टी यूपी में सरकार बनाएगी. वहीं 6 फीसदी को कांग्रेस के जीत हासिल करने की उम्मीद है.


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दूसरा कारण: योगी के लड़ने का दबाव


बीजेपी ने मुख्यमंत्री अगर योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से चुनावी मैदान में उतारा है. इससे साफ ज़ाहिर है कि अखिलेश यादव पर भी चुनाव लड़ने का दबाव बढ़ा. चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो इससे पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जाएगा और बीजेपी इसका पूरा फायदा उठाएगी और कहेगी कि अखिलेश ‘हार के डर’ की वजह से मैदान में आने से डर रहे हैं.  


इसी दबाव को लेकर एबीपी-सी वोटर के सर्वे में लोगों से सवाल पूछा गया कि योगी के चुनाव लड़ने से क्या अखिलेश पर भी चुनाव लड़ने का दवाब बनेगा? इसके जवाब में 48 फीसदी लोगों ने कहा कि हां अखिलेश पर दवाब बनेगा, जबकि 33 फीसदी लोगों ने कहा कि अखिलेश यादव पर कोई दवाब नहीं बनेगा. वहीं, 19 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है.




तीसरा कारण- पार्टी की ओर से दबाव


अखिलेश यादव से जब कभी भी उनके विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने हमेशा कहा, ‘’इसका फैसला पार्टी करेगी.’’ अब पार्टी की ओर से ही अखिलेश यादव पर चुनाव लड़ने का दवाब है. चुनावी विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर अखिलेश चुनाव लड़ते हैं तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, जिसके बाद वह और ताकत के साथ चुनाव प्रचार में जुटेंगे. हालांकि कुछ पत्रकारों का मानना है कि अखिलेश यादव इसलिए चुनाव नहीं लड़ना चाहते क्योंकि अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो फिर उनका ध्यान उस सीट पर चुनाव जीतने में ज़्यादा जाएगा और उम्मीदवारों के लिए सक्रियता कम हो जाएगी.


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अखिलेश के चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान?


साल 2012 के चुनाव में सपा के पास मुलायम सिंह यादव, आजम खान और शिवपाल सिंह यादव जैसे चेहरे थे. लेकिन इस बार सपा के लिए अखिलेश ही चेहरा हैं. आजम खान जैसा बड़ा चेहरा इस समय जेल में हैं और शिवपाल सिंह यादव जैसे नेता सपा से अलग हो चुके हैं. अभी जो राजनीतिक हालात हैं, उसमें अखिलेश यादव पार्टी के एकमात्र स्टार प्रचारक हैं. अगर वो चुनाव में उलझ गए तो पार्टी का चुनाव अभियान प्रभावित हो सकता है.