उत्तर प्रदेश की चुनावी रणभेरी बज चुकी है. लंबी माथापच्ची और सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है. कास्ट से लेकर हर चीज का खासतौर पर ध्यान रखा गया है. 


पश्चिमी यूपी में इस बार अलग ही 'सियासी खेला' देखने को मिल रहा है. बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दलों ने मुस्लिमों पर पश्चिमी यूपी में फोकस किया है. कांग्रेस, बसपा, सपा-रालोद गठबंधन ने कुल 113 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट बांटे हैं. दिलचस्प बात है कि जिन सीटों पर सपा-रालोद ने मुस्लिमों को टिकट नहीं दिया, वहां बसपा ने विशेष तौर पर मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया है.   


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कांग्रेस ने भी यही रणनीति अपनाई है. वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी 90 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव चला है. उत्तर प्रदेश चुनाव सात चरणों में लड़ा जाएगा. ऐसे में 3 चरणों में मायावती की कास्ट कैमिस्ट्री बेजोड़ नजर आ रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर पहले चरण में चुनाव होंगे. वहीं दूसरे चरण में 55 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. तीसरे चरण में 59 सीटों में से 35 भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ही हैं. 


10 सीटों पर बसपा बीजेपी के लिए चिंता


ऐसे में 144 ऐसी सीटें हैं, जहां ज्यादातर पर मायावती की बसपा अखिलेश  यादव और जयंत चौधरी के सपा-रालोद गठबंधन को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचा रही है. 15 ऐसी सीट हैं, जहां पर बीएसपी सीधे मुकाबले में है. 10 सीटों पर वह बीजेपी के लिए भी चिंता का सबब बनी हुई है. समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जाट प्रत्याशियों को टिकट देकर गठबंधन को मजबूत करने का दांव खेला. लेकिन बीएसपी ने इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर बीजेपी की राह आसान कर दी.


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वो 28 सीटें जहां बसपा-सपा और कांग्रेस ने उतारे मुस्लिम प्रत्याशी


वेस्ट यूपी की 144 सीटों में से 44 (31 प्रतिशत) पर मायावती ने मुस्लिम कार्ड खेला है. वहीं सपा-रालोद ने 34 मुस्लिमों को टिकट बांटे हैं. कांग्रेस की ओर से 34 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं. बीजेपी ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है. इस तरह 'जाटलैंड' में 28 ऐसी सीट हैं, जहां सपा, बसपा और कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी हैं. इससे इन सीटों पर वोटों के बंटने की संभावना बढ़ गई है. ओबीसी बाहुल्य वाली 36 सीटों पर दो या दो से ज्यादा प्रत्याशी हैं. ब्राह्मण प्रत्याशी 10 सीटों पर आमने-सामने हैं.


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किसने कैसे साधे जातिगत समीकरण


टिकट बांटने में हर पार्टी का 'होमवर्क' और रिसर्च नजर आ रहा है. बीजेपी ने टिकट वितरण में किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए जाटों और गुर्जरों को अपने पाले में करने की पूरी कोशिश की है. बीजेपी ने सामान्य जाति के 43 लोगों को टिकट दिए हैं. 44 टिकट ओबीसी जाति के प्रत्याशियों को दिए गए हैं. इसमें 17 जाट, 7 गुर्जर और 5 सैनी हैं. 19 एससी उम्मीदवारों को टिकट बांटे गए हैं. पार्टी ने मायावती के सिपहसालार रह चुके जगपाल सिंह को सहारनपुर देहात से चुनावी रण में उतारा गया है. दूसरी ओर सपा-रालोद गठबंधन ने 16 जाटों को टिकट दिए हैं. कांग्रेस ने 6 और 4 ने 4 पर दांव खेला है.


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पश्चिमी यूपी की 60 सीटों पर मुस्लिम तय कर सकते हैं हार-जीत


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 27.5 प्रतिशत है. इसमें करीब 52.2 प्रतिशत रामपुर जिले में हैं. 143 सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम किसी प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं. इन 143 में 60 सीट पश्चिमी यूपी में हैं. 1993 से साल 2012 तक काफी मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2017 में जबरदस्त ध्रुवीकरण देखा गया और कुल 35 मुस्लिम विधायक ही जीत पाए. 1993 में 28, 1996 में 38, 2002 में 46, 2007 में 56 और 2012 में 68 मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे.  



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