UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश के चुनावी संग्राम का आगाज हो चुका है. सूबे में राजनीति और वार-पलटवार का दौर अपने चरम पर है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी पर कौन बैठेगा, इसका फैसला तो 10 मार्च को हो ही जाएगा. लेकिन उससे पहले सभी पार्टियां चुनावी गेम सेट करने में जुट गई हैं. कोई जातियों के समीकरणों को अपने पाले में लाने के लिए दांव चल रहा है तो कोई गठबंधन से अपना जनाधार बढ़ाना चाहता है. 


योगी आदित्यनाथ इस बार गोरखपुर सदर सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी पहली बार विधायिकी लड़ेंगे. इन दोनों नेताओं के 'चुनावी बिसात' पर उतरने के बाद यूपी का चुनाव पहले से ज्यादा हाई वोल्टेज हो गया है. अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. इसे अखिलेश यादव के लिए सेफ सीट बताया जा रहा है.


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समीकरण सेट करने में जुटे अखिलेश


लेकिन इस सीट से लड़ने का फैसला अखिलेश यादव ने यूं ही नहीं लिया है. इसके पीछे 100 सीटें जीतने का वो ब्लूप्रिंट है, जिसके सहारे समाजवादी पार्टी पूरब और पश्चिम की उन सीटों पर जोर मारना चाहती है, जहां वो पिछले चुनावों में दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी. करहल विधानसभा एक तरह से अखिलेश के लिए ''ड्राइविंग सीट" है, जहां से वह एक तरफ आगरा, अलीगढ़ और मेरठ मंडल में जातिगत समीकरण साधने और दूसरी ओर आजमगढ़, मिर्जापुर में जनाधार बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं. 


मैनपुरी में डेढ़ लाख यादव मतदाता हैं. अन्य मतदाताओं की बात करें तो एससी 17 फीसदी, शाक्य 13 फीसदी, ठाकुर 9 फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, अल्पसंख्यक 6 फीसदी और अन्य 8 फीसदी हैं. यहां से 2014 में मुलायम सिंह यादव के पौत्र तेजप्रताप लोकसभा चुनाव जीते थे. 2019 में मुलायम सिंह के लिए तेजप्रताप ने यह सीट छोड़ दी थी. अब तेजप्रताप की अगुआई में ही अखिलेश यादव के चुनाव का पूरा खाका तैयार होगा. इस चुनाव में अखिलेश यादव गैर जाटव दलित, गैर यादव पिछड़ों के समीकरण, मुस्लिम और ब्राह्मणों के सहारे चुनाव में उतरे हैं.


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कैसे करहल से सधेगा पूरब और पश्चिमी यूपी


माना जा रहा है अखिलेश यादव के करहल से उतरने से  पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम यादव (एमवाई) फैक्टर मजबूत होगा. वहीं सपा का इस चुनाव में रालोद से गठबंधन हुआ है, जिससे जाटों का वोटबैंक सपा के साथ जुड़ने की बात कही जा रही है. इसके अलावा अलीगढ़ मंडल की सीटों के अलावा बुलंदशहर, सहारनपुर में गठबंधन मजबूत हो सकता है. 


पूर्वांचल में होगी कड़ी टक्कर


गोरखपुर सदर सीट से योगी आदित्यनाथ प्रत्याशी हैं. सियासी समीकरणों को देखते हुए पूर्वांचल बीजेपी के लिए काफी अहम है. पीएम मोदी काशी से सांसद हैं. इससे पूर्वांचल की सीटों पर असर जरूर पडे़गा. इससे निपटने के लिए ही अखिलेश यादव ने मैनपुरी करहल को चुना है क्योंकि यहां से वह पश्चिम के अलावा पूर्व की सीटों पर भी असर डाल सकते हैं. एक फैक्टर यह भी है कि गोरखपुर में छठे चरण में मतदान होना है जबकि करहल सीट पर 20 फरवरी यानी तीसरे चरण में मतदान हो जाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव पूर्वांचल की सीटों पर भी बेहतर तरीके से फोकस कर सकते हैं.



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