दिल्ली चुनाव: दिल्ली की 70 में से 62 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है. आम आदमी पार्टी की इस बड़ी जीत में मुस्लिम वोटर्स का अच्छा खासा योगदान रहा. मुस्लिम बहुल सीटों से जो नतीजे सामने आए हैं उनसे साफ है मुस्लिम वोटर्स ने आम आदमी पार्टी के समर्थन में एकतरफा वोटिंग की है. कभी मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद कांग्रेस हुआ करती थी. कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोटरों पर प्रभुत्व दिल्ली में 2013 तक रहा, जब शीला दीक्षित की सरकार थी. लेकिन इस बार कांग्रेस उम्मीदवार मुस्लिम बहुल सीटों पर 5 हजार वोट भी हासिल नहीं कर पाए.


कांग्रेस को हुआ भारी नुकसान


आप के अमानतुउल्ला खान ने ओखला सीट से जीत दर्ज की, जहां कांग्रेस उम्मीदवार परवेज हाशमी अपनी जमानत बचाने में विफल रहे. ओखला सीट से अमानतुउल्ला को 1.3 लाख वोट मिले. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बह्म सिंह को 71,827 वोट से मात दी है. पिछले चुनाव में उनकी जीत का अंतर 64.532 रहा था. 2015 के चुनाव में ओखला सीट से कांग्रेस उम्मीवार आसिफ खान को करीब 20 हजार वोट मिले थे. लेकिन इस बार कांग्रेस उम्मीदवार परवेज हाशमी को सिर्फ 5,107 वोट मिले. परवेज हाशमी चार बार ओखला सीट से पूर्व विधायक रहे हैं. सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन की वजह से भी ओखला सीट इस चुनाव का मुख्य केंद्र बनी हुई थी..


मटियामहल सीट पर आप उम्मीदवार शोएब इकबाल को करीब 76 फीसदी वोट मिले. शोएब इकबाल इस सीट पर 50,226 वोट के अंतर से बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब हुए. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मिर्जा जावेद अली को सिर्फ 3,403 वोट ही मिले. 2015 में शोएब इकबाल ने कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा था और उन्हें करीब 21 हजार वोट मिले थे.


बल्लीमारान सीट से कांग्रेस को इस चुनाव में बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन बाकी मुस्लिम सीटों की तरह यहां भी कांग्रेस की हालत खस्ता ही रही. दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री हारून यूसुफ को इस चुनाव में 4,797 वोट मिले. इस सीट पर आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन ने 36,178 वोट से जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के हारून यूसुफ को करीब 13 हजार वोट मिले थे.


2015 के विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हसम अहमद 52 हजार वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे. आप उम्मीदवार को पिछले चुनाव में इस सीट पर 49 हजार वोट मिले थे. लेकिन 2020 के चुनाव में मुस्तफाबाद सीट पर 98,850 वोट मिले. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मिर्ज अहमद को सिर्फ 5,363 वोट ही मिले हैं.


चांदनी चौक सीट पर भी मुस्लिम वोटर्स ने कांग्रेस की बजाए आम आदमी पार्टी को ही वोट किया. इस सीट पर आप उम्मीदवार प्रहलाद सिंह को 65 फीसदी वोट मिले हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को इस सीट पर करीब 18 हजार वोट मिले थे, जबकि इस बार महज 3,881 वोट ही मिले.


सीलमपुर सीट पर कांग्रेस को पिछले चुनाव में जितने वोट मिले थे लगभग 2020 के चुनाव में भी उतने ही वोट मिले. 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार मतीन अहमद को इस सीट से करीब 23 हजार वोट मिले थे, जबकि 2020 में वह 20 हजार वोट पाने में कामयाब रहे.


16 फरवरी को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे केजरीवाल, रामलीला मैदान में होगा समारोह