Lok Sabha Election Phase 3: लोकसभा चुनाव के दो चरण का मतदान हो चुका है, जबकि पांच चरण बाकी हैं. 7 मई को तीसरा चरण के लिए मतदान होगा, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. इस चरण से पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्‍शन वॉच ने उम्मीदवारों के एफिडेविड का विश्लेषण किया है. एडीआर के मुताबिक आम चुनावों के तीसरे चरण में कुल 1,352 उम्मीदवार हैं, इनमें से 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. 


एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 244 उम्‍मीदवारों के खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड हैं. वहीं 38 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. इनमें दो उम्‍मीदवार ऐसे हैं जिन पर रेप यानी आईपीसी की धारा 376 और इससे जुड़े आरोप हैं, जबकि उम्‍मीदवारों में से पांच पर मर्डर और 24 उम्‍मीदवारों पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज किए गए हैं. लोकसभा चुनावों का तीसरा चरण सात मई को है, जिसके तहत 94 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. एडीआर और द नेशनल इलेक्शन वॉच की तरफ से  तीसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के विवरण के विश्लेषण के अनुसार, सात उम्मीदवारों ने बताया है कि उन पर पहले दोष साबित हो चुका है.


कौन सी पार्टी के कितने उम्‍मीदवार 
अगर पार्टियों की बात करें तो गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने में राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सबसे आगे है. तीसरे चरण में आरजेडी के 3 में से 2 उम्‍मीदवारों यानी 67 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसके बाद शरद पवार की राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का नंबर है. एनसीपी के भी तीन में से दो उम्‍मीदवार मैदान में हैं. फिर उद्धव ठाकरे की शिवसेना, जिसके पांच में दो उम्‍मीदवार, फिर जेडी (यू) के 3 उम्मीदवारों में से 1, समाजवादी पार्टी (एसपी) के 10 उम्मीदवारों में से 14, कांग्रेस के 68 उम्मीदवारों में से 14, बीजेपी के 82 उम्मीदवारों में से 14 ऐसे उम्‍मीदवार तीसरे चरण में हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. 


सुप्रीम कोर्ट का आदेश बेअसर 
इन आंकड़ों से साफ है कि लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई असर नहीं हुआ है. एडीआर के मुताबिक 18 फीसदी ऐसे उम्‍मीदवारों को टिकट दिया गया है, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.  ऐसे में साफ है कि उम्मीदवारों को टिकट देने में सभी पार्टियों ने अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है.  सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में खासतौर पर कहा था कि राजनीतिक दलों को ऐसे चयन के लिए कारण बताना होगा. साथ ही यह भी बताना होगा कि बिना आपराधिक बैकग्राउंड वाले बाकी व्यक्तियों को उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है. 


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