Lok Sabha Elections: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई बहस की चुनौती के बाद कांग्रेस पर बीजेपी हमलावर नजर आ रही है. इस बीच राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो डालकर बीजेपी पर तंज किया है. राहुल ने लिखा है ‘वो 10 साल से ‘टेम्पो वाले अरबपतियों’ से मिले ‘नोटों की गिनती’ कर रहे हैं, हम ‘जातिगत गिनती’ से देश का X-Ray कर, हर वर्ग की न्यायपूर्ण हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे’.


वीडियो में पीएम मोदी के रुप में एक कालाकार को दिखाया गया है, जो चुनाव प्रचार के लिए लोगों के बीच गया है. इस दौरान लोगों के द्वारा उन्हें एक कुर्सी बैठने के लिए दी जाती है. इस पर पीएम के रोल में नजर आने वाला शख्स कहता है. गिनती तो करो. फिर लोगों की तरफ से जवाब दिया जाता है, वही तो, अंकल गिनती तो करो. वीडियो में कांग्रेस ने जातिगत गिनती की बात की है, जो राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में भी लिखा है. साथ ही पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी जातिगत जनगणना करने का वादा किया है.




1951 में हुई थी जातिगत जनगणना


आजादी के बाद 1951 में जब पहली जनगणना हुई तो इसमें जातिगत आंकड़ों को सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तक सीमित कर दिया गया था. इसके बाद साल 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 और 2011 में जो भी जनगणना हुई, उसमें भी सरकार ने जातिगत जनगणना से दूरी बनाए रखी. यह भी कहा गया कि डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते साल 2011 में जो आखिरी जनगणना हुई थी, उसमें जातिगत आंकड़े भी दर्ज किये गए थे, लेकिन यह डाटा सार्वजनिक नहीं किया गया.


आखिर संविधान क्या कहता है?


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 में जनगणना से जुड़ा प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं नहीं कहा गया है कि जनगणना कब और कितने अंतराल पर होगी. न तो जातिगत जनगणना जैसी कोई बात है. सेंसस ऑफ इंडिया एक्ट 1948 में भी जनगणना की अवधि या अंतराल पर कोई गाइडलाइन नहीं है. साल 1872 में जब ब्रिटिश सरकार ने पहली बार जनगणना कराई थी, तब से प्रत्येक 10 वर्ष के बाद या हर दशक की शुरुआत में जनगणना होती रही है.


 बिहार में हुआ जातिगत सर्वे


इससे पहले अक्टूबर 2023 में बिहार में जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गई. इस सर्वे के मुताबिक बिहार में हिंदुओं की सर्वाधिक आबादी है, ये आबादी 81.9 फीसदी है. वहीं अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी, पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, एससी 19.65 फीसदी, एसटी 1.6 प्रतिशत और मुसहर की आबादी 3 फीसदी बताई गई है. इस रिपोर्ट का सियासी गलियारे के साथ आम लोगों को भी बेसब्री से इंतजार था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस रिपोर्ट को नीतीश सरकार का सबसे बड़ा दांव माना जा रहा है. बिहार सरकार की जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल आबादी तेरह करोड़ से ज्यादा है.


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