Lok Sabha Elections VVPAT Slips Removal Fact Check: फेसबुक पर पिछले कुछ दिनों से एक वीडियो वायरल हो रहा है, इसमें कुछ लोग कथित तौर पर ईवीएम से वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियां निकाल रहे हैं और उन्हें एक काले लिफाफे में रख रहे हैं. इस वीडियो को शेयर करने वाले यूजर ने दावा किया कि वीडियो में दिख रहा शख्स ईवीएम से पर्चियां चुरा रहा है.


इस वीडियो को तेजी से वायरल होते देख पीटीआई फैक्ट चेक टीम ने इसकी पड़ताल शुरू की. टीम को जांच के दौरान पता चला कि यह वीडियो 2022 का है और इसे हाल का बताकर झूठे दावों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इससे पहले पिछले साल कर्नाटक चुनाव के दौरान भी इसी वीडियो को वहां का बताकर वायरल किया गया था.


'पीटीआई फैक्ट चेक: वीवीपैट पर्चियां हटाने का वीडियो गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया गया'  हेडिंग के साथ यह फैक्ट चेक यहां पढ़ सकते हैं.


क्या किया गया है दावा?


एक इंस्टाग्राम यूजर ने 23 अप्रैल 2024 को एक वीडियो शेयर किया है. इसमें एक शख्स ईवीएम से वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियां निकालकर उन्हें एक काले लिफाफे में रखता हुआ दिख रहा है. वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया गया कि शख्स ईवीएम से पर्चियां चुरा रहा है.


पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “ईवीएम से पर्चियों की चोरी.. #viralvideos #reels #trending #instareels”


यहां लिंक और अर्काइव लिंक है और नीचे उसका एक स्क्रीनशॉट है:




क्या निकला पड़ताल में?


जांच शुरू करते हुए टीम ने वायरल वीडियो को InVid टूल सर्च के माध्यम से चलाया और कुछ कीफ्रेम पाए. इसके बाद Google लेंस के माध्यम से एक कीफ़्रेम चलाने पर हमें समान दावों के साथ एक ही वीडियो वाले कई पोस्ट मिले.


ऐसी दो पोस्ट यहां और यहां देखी जा सकती हैं और उनके अर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखे जा सकते हैं:


ऐसे दो एक्स पोस्ट यहां देखे जा सकते हैं.




फैक्ट चेक के अगले हिस्से में टीम ने मतदान केंद्रों पर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों को लेकर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को समझने की कोशिश की.


Google पर "चुनाव संचालन नियम, 1961' कीवर्ड का उपयोग करके एक कस्टमाइज्ड कीवर्ड सर्च करने पर, हमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राजस्थान की आधिकारिक वेबसाइट मिली. यहां हमें एक पीडीएफ फाइल मिली, जिसे टीम ने डाउनलोड कर लिया.


यहां फाइल का लिंक है


टीम ने पीडीएफ डॉक्युमेंट्स में चुनाव पत्रों के निपटान के संबंध में चुनाव नियमों की धारा 94 तक स्क्रॉल किया. चुनाव आचरण नियम, 1961 की धारा 94 (बी) में कहा गया है कि चुनाव आयोग या किसी सक्षम न्यायालय या न्यायाधिकरण की ओर से चुनाव से संबंधित कागजात जैसे इस्तेमाल किए गए और गैर इस्तेमाल किए गए बैलेट पेपर,  इस्तेमाल किए गए बैलेटर पेपर का काउंटरफॉल, मतदाता सूची की चिह्नित कॉपियां और मतदाताओं के रजिस्टर को एक वर्ष के लिए सुरक्षित रखा जाएगा. हालांकि, इस नियम में स्पष्ट रूप से VVPAT पर्चियों का उल्लेख नहीं है.


नीचे उसका स्क्रीनशॉट है:




बहरहाल, वायरल पोस्ट के वीडियो में वीवीपैट पर्चियों या किसी अन्य चुनाव संबंधी कागजात को नष्ट करते हुए नहीं दिखाया गया है. इसके बजाय यह संबंधित मशीनों से वीवीपीएटी पर्चियों को हटाने को दर्शाता है (जो ईसीआई की ओर से बताई गई प्रक्रिया का हिस्सा है, जैसा कि नीचे दिए गए लेख में बताया गया है).


 


टीम ने देखा कि चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 94 (सी), जिसके बारे में ऊपर बताया गया है, अन्य सभी चुनाव पत्रों (वीवीपीएटी पर्चियों सहित) को संबोधित करती है, में कहा गया है कि उन्हें चुनाव आयोग की ओर से निर्देशित अवधि के लिए बनाए रखा जा सकता है जब तक कि चुनाव याचिका/अदालत मामला लंबित है.


पड़ताल के अगले हिस्से में, टीम ने “removal of VVPAT slips, ECI” कीवर्ड के साथ Google  पर सर्च किया. हमारे सामने भारत चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर एक पेज खुला. इसमें वोटों की गिनती पूरी होने के बाद वीवीपैट पर्चियां निकालने के नियमों की जानकारी थी. टीम ने इस पेज को डाउनलोड किया.


यहां वेबसाइट का लिंक दिया गया है और नीचे उसका एक स्क्रीनशॉट है:




ईसीआई के नियमों के अनुसार, वीवीपैट पेपर पर्चियों को वीवीपैट के ड्रॉप बॉक्स से निकाला जाएगा और मतदान केंद्र के अनुसार मोटे काले कागज से बने कागज के लिफाफे में रखा जाएगा. साथ ही, प्रत्येक मशीन से निकाली गई वीवीपैट पर्चियों को एक अलग लिफाफे में रखा जाना चाहिए.


नीचे ईसीआई के नियमों पर प्रकाश डालने वाला एक स्क्रीनशॉट है:




यह वही प्रक्रिया थी जो वायरल वीडियो में व्यक्ति की ओर से की जा रही थी. जिसमें उसने मशीन से वीवीपैट पर्चियां निकालीं, उन्हें मोटे काले कागज के एक लिफाफे में सुरक्षित रखा और बाद में सील कर दिया.


आगे पड़ताल करने पर टीम को 12 दिसंबर, 2022 को शेयर किए गए इसी तरह के वीडियो के साथ एक और फेसबुक पोस्ट मिली.


पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “अपनी आंखों से देखें कि भाजपा के ठेकेदार कैसे जीतते हैं, यह भावनगर जिले का वीडियो है.”


यहां लिंक और आर्काइव लिंक है और नीचे उसका एक स्क्रीनशॉट है




भले ही टीम वायरल वीडियो के स्रोत का पता नहीं लगा सकी, लेकिन टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यह वीडियो 2022 से मौजूद है.


इसके बाद टीम ने निष्कर्ष निकाला कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों को निकालने और उसके संरक्षण की प्रक्रिया से संबंधित एक पुराने वीडियो को सोशल मीडिया पर झूठे दावों के साथ हाल ही में साझा किया गया है.


क्या किया गया है दावा?


ईवीएम से वीवीपैट पर्चियां चोरी होने का वीडियो.


क्या निकला तथ्य?


यह एक पुराना वीडियो है जो 2022 का है, उसमें एक व्यक्ति को ईसीआई दिशानिर्देशों के अनुसार ईवीएम से वीवीपैट पर्चियां निकालने की प्रक्रिया का पालन करते हुए दिखाया गया है. वीडियो को गलत तरीके से मौजूदा लोकसभा चुनाव से जोड़ा जा रहा है.


क्या निकला निष्कर्ष?


कई सोशल मीडिया यूजर्स ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें कुछ लोगों को कथित तौर पर ईवीएम से वीवीपैट पर्चियां निकालते देखा जा सकता है. यूजर्स ने दावा किया कि यह शख्स मौजूदा लोकसभा चुनावों में वीवीपैट पर्चियों की चोरी कर रहा है. फैक्ट चेक में पाया गया कि यह 2022 का एक पुराना वीडियो है, जिसमें आदमी को ईसीआई दिशानिर्देशों के अनुसार ईवीएम से वीवीपैट पर्चियां निकालने की प्रक्रिया का पालन करते हुए दिखाया गया था. पर यूजर्स इसे झूठे दावों के साथ हाल फिलहाल का बताकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं.


Disclaimer: This story was originally published by PTI and republished by ABP Live Hindi as part of the Shakti Collective.