Reserve Lok Sabha Election 2024: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के महामुकाबले का मंच तैयार हो चुका है. एक तरफ बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए है, जो लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाकर पंडित नेहरू की बराबरी करने की कोशिश में है. वहीं, 2014 के बाद से ही सत्ता से बाहर इस बार वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है. इसके लिए पार्टी ने 25 अन्य दलों के साथ मिलकर इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस-I.N.D.I.A बनाया है. 


विपक्षी गठबंधन में सबसे बड़ी और पैन इंडिया पार्टी होने के चलते कांग्रेस के प्रदर्शन पर विपक्षी खेमे की सफलता बहुत कुछ निर्भर करेगी. लेकिन इसके लिए कांग्रेस को अपने कोर वोट को फिर से हासिल करना होगा, जिसमें बीजेपी ने सबसे बड़ी सेंध लगाई है. इस बार के चुनाव में भी रिजर्व सीटों पर दिलचस्प लड़ाई की उम्मीद है.


रिजर्व सीटों पर कमजोर हुई कांग्रेस


कांग्रेस के बारे में कहा जाता रहा है कि हाशिए पर पड़े समाज ने इसे हमेशा से साथ दिया है. मंडल आंदोलन के उभार के बाद पिछड़ा वर्ग कांग्रेस से दूर हुआ लेकिन दलित और आदिवासी अभी भी कांग्रेस के साथ बने रहे. पिछले कुछ सालों से कांग्रेस इस मोर्चे पर भी कमजोर पड़ती जा रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं.


देश में लोकसभा की 131 आरक्षित सीटें हैं, जो लोकसभा की कुल सीटों का 24 प्रतिशत है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इनमें से केवल 10 सीटों पर जीत मिली थी. 121 रिजर्व सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था. इसके बाद पार्टी ने महसूस किया है कि उसे एक बार फिर से रिजर्व सीटों पर ध्यान देने की जरूरत है. जनवरी 2021 में कांग्रेस की रणनीति ग्रुप की बैठक में रिजर्व कोटे की 56 सीटों का चयन किया गया था, जिस पर फोकस करने का प्लान बना था. ये 56 सीटें जीती गई 10 सीटों से अलग हैं. इनमें से 28 रिजर्व सीटें ऐसी हैं, जिस पर 2019 के चुनाव में पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी.


कांग्रेस ने बनाया रिजर्व सीटों के लिए प्लान


कांग्रेस 2024 के लिए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अनुसूचित जाति की 4-4 सीटों और तेलंगाना में 3 सीटों पर फोकस करने का फैसला किया है. इसके साथ ही बिहार, गुजरात और हरियाणा में अनुसूचित जाति की कम से कम दो सीटों पर पार्टी फोकस करेगी. एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में, कांग्रेस मध्य प्रदेश की छह और गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चार-चार सीटों पर फोकस कर रही है.


बीजेपी की सत्ता में वापसी में रिजर्व सीटों का बड़ा हाथ


पिछले दो लोकसभा चुनावों से बीजेपी की सत्ता में वापसी में रिजर्व सीटों का बड़ा योगदान रहा है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में रिजर्व सीटों पर बीजेपी सबसे बड़ी खिलाड़ी बनकर सामने आई. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 131 लोकसभा सीटों में बीजेपी ने 2019 में 86 सीटें जीती थीं. वहीं, 2014 में बीजेपी को 60 फीसदी रिजर्व सीटों पर जीत मिली थी. 


आंकड़ें बताते हैं कि कांग्रेस का पारंपरिक वोट अब काफी हद तक बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ है और ये बात बीजेपी भी जानती है. यही वजह है कि पार्टी पहले से ही एससी-एसटी वोटर्स तक पहुंचने में जुट गई है. जनवरी 2023 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने इसका संदेश भी दिया था. पीएम ने कहा था कि हमारा अभियान इस तरह होना चाहिए कि वह हाशिए पर मौजूद सभी समुदाय तक पहुंच सके. उन्होंने कहा था कि हमें बिना वोट की परवाह किए ऐसा करना चाहिए.


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