Karnataka Politics: विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश मिलने के कुछ दिनों बाद से ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बरकरार है. इस पद के दो दावेदार राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार और वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया हैं. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने अपना पक्ष रखने के लिए डीके शिवकुमार आज दिल्ली जा रहे हैं. वहीं, पार्टी की अंतिम घोषणा से पहले सिद्धारमैया कल ही दिल्ली पहुंच चुके हैं. वो भी मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए हुए हैं. 13 मई को कांग्रेस ने 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 135 सीटें जीतकर दक्षिण में अपने एकमात्र गढ़ से कट्टर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को हटा दिया.


24 घंटों में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा
दिल्ली रवाना होने से पहले शिवकुमार ने कहा कि वह आज जहां हैं, कांग्रेस की वजह से हैं. पार्टी के बिना हर कोई शून्य है. पार्टी के नेतृत्व को कल पर्यवेक्षकों की एक टीम ने कर्नाटक के नव-निर्वाचित विधायकों के विचारों से अवगत कराया. इस नेतृत्व में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी शामिल हैं.


इससे पहले टीम ने सभी विजेताओं से मुलाकात की और रविवार को एक गुप्त मतदान किया. जिसके परिणाम कथित तौर पर पार्टी अध्यक्ष को प्रस्तुत किए गए हैं, जो अंतिम निर्णय लेंगे. पार्टी सूत्रों ने कहा कि पार्टी आने वाले 24 घंटों में कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर सकती है.


मैं ब्लैकमेल करने वालों में नहीं
एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में 62 वर्षीय डीके शिवकुमार ने कहा कि वह ब्लैकमेल या विद्रोह नहीं करेंगे. उन्होंने कहा,'' सोनिया गांधी ने मुझसे कहा मुझे आप पर भरोसा है कि आप कर्नाटक का उद्धार करेंगे. उन्होंने कहा कि मैं यहां बैठकर अपनी नियमित जिम्मेदारी निभा रहा हूं. आपके पास बुनियादी शिष्टाचार के साथ थोड़ी सी कृतज्ञता होनी चाहिए. पार्टी के नेतृत्व को यह स्वीकार करना चाहिए कि कर्नाटक में जोरदार जीत के पीछे कौन है.''


शिवकुमार ने कहा कि मैं ब्लैकमेल करने वालों में से नहीं हूं. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. मेरे पास प्रजेंस ऑफ माइंड है. मैं बच्चा नहीं हूं. मैं किसी झांसे में नहीं आऊंगा. सिद्धारमैया के पास विधायकों का समर्थन है, उनके इस दावे का जवाब देते हुए डीके ने कहा कि मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं.


कांग्रेस के लिए अग्निपरीक्षा
कर्नाटक  जीतने वाली कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री को चुनना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच गहरे मतभेद के बावजूद चुनाव के दौरान कांग्रेस एक संयुक्त मोर्चा पेश करने में सक्षम थी. हालांकि, उन दोनों के समर्थक अक्सर सीएम पद के सवाल पर सार्वजनिक रूप से भिड़ गए हैं.


एक तरफ सिद्धारमैया बड़े पैमाने पर अपील करने वाले नेता हैं. सभी वर्गों के बीच लोकप्रिय हैं. साल 2013-2018 से पूरे पांच साल की सरकार चलाने का अनुभव रखते हैं. दूसरी तरफ डीके शिवकुमार के पास मजबूत संगठनात्मक क्षमताएं हैं. उन्हें कठिन समय के दौरान कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है. प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय, इसके प्रभावशाली संतों और नेताओं का समर्थन प्राप्त है.


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