Karnataka Election Results 2023 : हर चुनाव में, कुछ उम्मीदवारों के बीच बहुत ही बराबरी की लड़ाई होती है तो वहीं, कुछ अन्य शानदार जीत हासिल करते हैं. इस लिहाज से 2023 अलग नहीं है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बहुत सारी चीजें रहीं, जिसमें महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक का मुद्दा छाया रहा. 


भाजपा के खिलाफ दिखी जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी


वहीं, प्रमुख जातियों के समूहों का सोशल इंजीनियरिंग करने में विफलता मतदान को प्रभावित कर सकती थी. शनिवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम 2023 ने यह साबित कर दिया कि वहां पर भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की जबरदस्त लहर थी. हालांकि बहुत कम अंतर वाली सीटों पर बहुत सारे उम्मीदवारों के लिए कहानी बहुत अलग हो सकती थी. बेंगलुरु में दो ऐसी सीटें रहीं जहां पर उम्मीदवारों के बीच हार जीत का फासला बहुत कम रहा. इसमें एक सीट जयनगर की है जहां पर भाजपा के प्रत्याशी ने महज 16 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. दूसरी सीट गांधीनगर की रही जहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार ने मात्र 105 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. दोनों जगहों पर वोटों की रिकाउंटिंग हुई. जिसने सबका ध्यान खींचा. 


दो सीटों पर मामूली अंतर से जीती कांग्रेस 


इसी तरह से श्रृंगेरी और मलुर सीट पर भी कांग्रेस ने बहुत ही कम अंतर से जीत हासिल की. श्रृंगेरी सीट पर जीत का फासला मात्र 201 वोट रहा. वहीं, मलुर में यह अंतर 248 वोटों का रहा. यही नहीं 8 ऐसे सीट भी रहे जहां पर हार-जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम रहा है. 4 ऐसी सीट भी हैं जहां यह अंतर 300 वोटों का रहा. वहीं, 15 सीटों पर हार-जीत का अंतर 1000-2,999 वोटों का रहा है. 41 ऐसी सीट भी रही हैं, जहां पर उम्मीदवारो के बीच हार-जीत का अंतर 5000 वोटों का रहा है और इनमें से 50 % से अधिक सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.


जातियों के समीकरण ने भाजपा को पहुंचाई चोट


भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष चलावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि वोक्कालिगा समुदाय ने डीके शिवकुमार का समर्थन किया. वहीं, अहिंदा समुदाय के लोगों ने सिद्धारमैया का समर्थन किया और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने गढ़ में लोगों से समर्थन देने की गुहार लगाई. ये सभी चीजें भाजपा के खिलाफ जबदस्त लहर के रूप में दिखाई दी. इन सब कारणों के बिना स्तिथि कुछ और हो सकती थी, जैसा की बेंगलुरु और कोस्टल कर्नाटक के क्षेत्र में देखी गई. हमारे ऐसे बहुत सारे प्रत्याशी रहे जो जीत हासिल कर सकते थे लेकिन वे बहुत कम वोटों के अंतर से हार गए. 


41 सीटें जहां हार-जीत का अंतर कम रहा


चुनाव आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि 41 सीटें ऐसी रहीं जहां पर 5000 से कम वोटों के अंतर पर हार-जीत हुई है. इनमें से 22 सीटों पर कांग्रेस, 16 सीटों पर भाजपा और तीन सीटों पर जेडी (एस) के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. 1000-2999 वोटों के अंतर से हार जीत वाली सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग बराबरी की लड़ाई रही. लेकिन कांग्रेस इन सीटों पर भी आगे रही. 41 सीटें जहां पर हार-जीत का अंतर कम रहा है, उनमें से 14 सीटों पर पदस्थ विधायकों ने चुनाव लड़ा, जिसमें 7 कांग्रेस के, 6 भाजपा के और 1 जेडी(एस) के विधायक रहे.