Assembly Election 2023 Live: मध्य प्रदेश में 3 केंद्रीय मंत्री, 4 लोकसभा सांसद मैदान में, बीजेपी के दिग्गज पास होंगे या फेल, यहां जानिए
Election News: मध्य प्रदेश में BJP अपनी सत्ता बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उसने इस बार नए फॉर्मूले पर टिकट बांटते हुए तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतार दिया.
एबीपी लाइव Last Updated: 27 Oct 2023 02:56 PM
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.Assembly Election 2023 Live Update: भारतीय जनता पार्टी ने इस बार मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात लोकसभा सांसदों को मैदान में उतारा है. बीजेपी के इस फॉर्मूले ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये सभी बड़े नेता प्रदेश में बीजेपी को आगे ले जा पाएंगे, क्या इस बार भी बीजेपी को सत्ता में वापस ला पाएंगे.राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा ने सांसदों को सीट देकर कुछ क्षेत्रों पर ज्यादा से ज्यादा बढ़त हासिल करने की कोशिश ही की है. बता दें कि भाजपा ने पिछले महीने सात सांसदों को मैदान में उतारा, जिनमें तीन केंद्रीय मंत्री - नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल थे. इन सभी को 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए बीजेपी की तरफ से सीएम पद के संभावित दावेदारों के रूप में भी देखा जा रहा है. इसके अलावा इंदौर-1 विधानसभा सीट से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस बार चुनावी मैदान में हैं और उन्हें भी संभावित सीएम चेहरा माना जा रहा है.कुछ बता रहे गलत फैसलावहीं, दूसरी ओर कुछ राजनीतिक विश्लेषक इतने सांसदों को उतराने के फैसले को ही गलत बता रहे हैं. वह कहते हैं कि यह कागज तक तो ठीक लगता है, लेकिन यह कई तरह की चिंताएं पैदा करता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि इन नेताओं के साथ सबसे बड़ा खतरा ये है कि भाजपा की जिला इकाइयों ने टिकट के लिए इनके नामों की सिफारिश नहीं की है. ये सभी भाजपा संसदीय बोर्ड की ओर से सीधे लाए गए हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि कोई मतदाता सिर्फ इसलिए अपनी प्राथमिकता क्यों बदल देगा कि ये बड़े नाम हैं. लोगों में तो इस बात की नाराजगी होगी कि उनके नेताओं का टिकट काटकर इन्हें मौका दिया गया है.इन क्षेत्रों पर है ज्यादा फोकस2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर की वजह से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भाजपा को कम वोट मिले थे. "इस बार भी स्थिति लगभग वैसी ही है और भाजपा को यह फीडबैक मिला होगा. यही वजह है कि उसने इस क्षेत्र में कुछ उम्मीदवारों को बदल दिया और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे पार्टी के दिग्गज को मैदान में उतारा है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन कुलस्ते सहित जिन चार मौजूदा सांसदों को टिकट दिया गया है, वे महाकौशल क्षेत्र में मैदान में हैं. भाजपा ने जबलपुर से निवर्तमान सांसद राकेश सिंह को जबलपुर-पश्चिम विधानसभा सीट से और होशंगाबाद से निवर्तमान सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा से मैदान में उतारा है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को छोड़कर मैदान में मौजूद सभी मौजूदा भाजपा सांसदों को उनकी संबंधित लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से एक से मैदान में उतारा गया है. दमोह से मौजूदा लोकसभा सांसद प्रह्लाद पटेल नरसिंहपुर से मैदान में हैं, जो होशंगाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत आता है.सबसे ज्यादा फोकस महाकौशल परपूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष और मौजूदा सांसद राकेश सिंह अपना पहला विधानसभा चुनाव जबलपुर (पश्चिम) से लड़ रहे हैं, जो 1990 तक कांग्रेस का गढ़ था. उन्हें दो बार के कांग्रेस विधायक तरुण भनोट का सामना करना पड़ रहा है, जो कमल नाथ सरकार (दिसंबर 2018-मार्च 2020) में वित्त मंत्री थे. कुछ जानकार बताते हैं कि इस बार बीजेपी महाकौशल पर विशेष ध्यान दे रही है क्योंकि राज्य कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ उसी क्षेत्र (छिंदवाड़ा जिले) से आते हैं. भाजपा ने महाकौशल से चार सांसदों को मैदान में उतारा है और उनमें से दो - पटेल और कुलस्ते - को उनके समर्थक संभावित सीएम चेहरे के रूप में देख रहे हैं. भाजपा का मानना है कि ये उम्मीदवार क्षेत्र में लहर पैदा कर सकते हैं." बता दें कि महाकौशल की 38 सीटों में से 2018 में कांग्रेस ने 24, भाजपा ने 13 सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी.ये भी पढ़ेंIsrael Hamas war Live Updates: हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो हेड की इजरायल को चेतावनी- 'गाजा के खिलाफ आक्रामकता पूरे क्षेत्र को कर देगी अस्थिर'
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Chhattisgarh Election 2023: बघेल सरकार में हुए कई घोटाले : रमन सिंह
छत्तीसगढ़ में केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह कहते हैं, "जब पीएमएलए का मामला होता है तो ईडी और आईटी विभाग के अफसर आते हैं. अगर सरकार खुद कार्रवाई करे तो ऐसे भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है, लेकिन अगर सरकार खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हो, अगर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का शराब घोटाला हो और सरकारी दुकानों में अवैध शराब बेची जा रही हो, अगर कोयले के लिए सार्वजनिक रूप से 25 रुपये प्रति टन अवैध वसूली हो रही हो, तो एजेंसियों को कार्रवाई करनी पड़ती है."