Andhra Pradesh Assembl Election 2024: इन दिनों दक्षिण की एक सीट फिर से काफी चर्चा में है. यह सीट है तिरुपति जिसके चंद्रगिरि निर्वाचन क्षेत्र में काफी समय के बाद रौनक नजर आ रही है. यहां पर पिछले दिनों हुई एक रैली ने सबका ध्‍यान अपनी तरफ खींचा है. तिरुपति  शहरी विकास प्राधिकरण (टीयूडीए) के अध्‍यक्ष चेविरेड्डी मोहित रेड्डी ने 25 अप्रैल को अपना नामाकंन दाखिल किया है.  इस दौरान उन्‍होंंने एक मेगा विशाल रैली भी की. इस रैली के साथ ही सबकी नजरें दक्षिण के इस सबसे कम उम्र के उम्‍मीदवार पर गई हैं. लोकसभा चुनाव के साथ ही साथ कुछ राज्‍यों में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं. 13 मई को जब आंध्र प्रदेश में चौथे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे तो उसी दौरान यहां पर विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी. मोहित रेड्डी इन्‍हीं विधानसभा चुनावों में अपनी किस्‍मत आजमा रहे हैं. जानिए कौन हैं मोहित रेड्डी जिनके बारे में पिछले एक हफ्ते से हर कोई चर्चा कर रहा है. 


पिता दो बार के विधायक 


मोहित रेड्डी के साथ आंध्र प्रदेश के पर्यटन मंत्री और नागरी के सांसद आरके रोजा और मौजूदा विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी भी रैली में मौजूद थे. मोहित रेड्डी की उम्र सिर्फ 26 साल है और वह विधानसभा चुनावों में मैदान में उतरे सबसे युवा उम्‍मीदवारों में शामिल हैं. मोहित चंद्रगिरि से दो बार विधायक रहे डॉक्‍टर चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी के बेटे हैं, जो वाईएसआरसीपी के टिकट पर ओंगोल से संसद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. 


चंद्रगिरि निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल करने के बाद मोहित रेड्डी ने भरोसा जताया है कि वाईएसआरसीपी उस निर्वाचन क्षेत्र में अपना वर्चस्व फिर से स्थापित करेगी जहां टीडीपी ने तीन दशकों से चुनावी जीत हासिल नहीं की है. 


क्‍यों चुनावी मैदान में उतरे मोहित 


मोहित रेड्डी चंद्रगिरि में तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के पुलिवार्थी नानी से चुनावी लड़ाई में मैदान में होंगे. मोहित के पिता चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी ने साल 2019 के चुनाव में पुलिवार्थी नानी को 41755 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था. शुरुआती हिचकिचाहट के बाद, टीडीपी ने जमीन पर विश्वास खोने के बावजूद चंद्रगिरि में पुलिवार्थी नानी को फिर से मैदान में उतारा क्योंकि पार्टी के पास कोई विकल्‍प नहीं था. 


चंद्रबाबू नायडू का गढ़ 


सबसे ज्‍यादा दिलचस्‍प बात यह है कि चंद्रगिरि निर्वाचन क्षेत्र टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू का गृह निर्वाचन क्षेत्र है और उनका पैतृक गांव नारावरिपल्ली यहीं पर है. यह निर्वाचन क्षेत्र पूर्व में हमेशा से कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है और अब वाईएसआरसीपी का गढ़ बन गया है.  चंद्रबाबू नायडू की चुनावी शुरुआत चंद्रगिरि निर्वाचन क्षेत्र से ही हुई, जहां उन्होंने 1978 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा. सन् 1983 के चुनावों में टीडीपी उम्मीदवार वेंकटरमण नायडू मेदासानी से हार के बाद, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी के गठन के बाद यह पहला चुनाव था. नायडू टीडीपी में चले गए और अपना आधार बैकवाटर कुप्पम विधानसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया. यहां से सन् 1989 से उनकी लगातार जीत का सिलसिला जारी है. 


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